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आंगनबाड़ी कार्यकत्री की मेहनत लाई रंग, 2 वर्षों में बच्चों और महिलाओं की स्थिति में आया सुधार

यूपी के लखनऊ में बीते 2 वर्षों में बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से लखनऊ में बड़े पैमाने पर काम किया गया है. आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2018 में लखनऊ में 8000 बच्चे कुपोषित थे, जिसमें से 5000 बच्चों को बेहतर आहार उपलब्ध कराकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने कुपोषण की श्रेणी से सामान्य श्रेणी में लाने का काम किया है.

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Published : Aug 27, 2020, 10:23 PM IST

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आंगनबाड़ी कार्यकर्ता.

लखनऊ: बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों की मदद से महिला एवं बाल कल्याण के लिए काम किया जाता है. इस विभाग के तहत बच्चों, किशोरियों और गर्भवती महिलाओं के पोषण के लिए कई तरह से सुविधा उपलब्ध कराई जाती है. बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों पर महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य की जांच, टीकाकरण, प्रीस्कूल एजुकेशन, कंगारू केयर, लाभार्थियों को अन्नपूरक पोषाहार का वितरण जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं.

मामले की जानकारी देते जिला कार्यक्रम अधिकारी.

बीते 2 वर्षों में बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से लखनऊ में बड़े पैमाने पर काम किया गया है. आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2018 में लखनऊ में 8000 बच्चे कुपोषित थे, जिसमें से 5000 बच्चों को बेहतर आहार उपलब्ध कराकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने कुपोषण की श्रेणी से सामान्य श्रेणी में लाने का काम किया है. वर्तमान में लखनऊ में सिर्फ तीन हजार बच्चे कुपोषित हैं. बच्चों के साथ-साथ किशोरियों को एनीमिया से मुक्ति दिलाने में भी बाल विकास एवं पुष्टाहार के तहत काम करने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने बेहतर काम किया है. वर्ष 2018 में शहर में 12000 किशोरियां एनीमिया से पीड़ित थी, जिनमें से 5000 किशोरियों को इन्हें नियत से मुक्ति दिलाने में विभाग को कामयाबी मिली है. लखनऊ में 7000 किशोरिया एनीमिया से ग्रसित हैं.

कंगारू केयर के तहत किए गए बेहतर कार्य
बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से चलाए जा रहे कंगारू केयर की मदद से सैकड़ों की संख्या में बच्चों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं. कंगारू केयर के तहत उन बच्चों को सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं, जो जन्म के दौरान काफी कमजोर होते हैं. उदाहरण के तौर पर 15 सितंबर 2019 को एक बच्ची ने मलिहाबाद तहसील के एक गांव में जन्म लिया, जिसका वजन 1.5 केजी था. वजन मानक से काफी कम था. कंगारू केयर की मदद से कमजोर बच्ची को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं. आंगनबाड़ी कार्यकर्ती की देखरेख में सुविधा उपलब्ध कराई गई. कुछ ही समय में बच्ची का वजन मानक के अनुरूप हो गया.

अन्नप्राशन कार्यक्रम की मदद से बच्चों को दी जा रही सुविधाएं
इस कार्यक्रम के तहत बच्चे के जन्म लेने के छठे महीने में आंगनबाड़ी केंद्र में अन्नप्राशन कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. इसमें मां और परिजनों को बच्चे की परवरिश के संदर्भ में जागरूक किया जाता है. इस कार्यक्रम में सेमी सॉलि़ड फूड आहार के तौर पर बच्चे को दिया जाता है.

बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों पर गोद भराई कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. गांव में किसी महिला के गर्भवती होने की सूचना मिलती है तो गर्भ के 2 महीने के होने पर उसे केंद्र पर बुलाकर गोद भराई कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. इस आयोजन में मां बनने वाली महिला और परिजनों को जागरूक किया जाता है. साथ ही इस गोद भराई कार्यक्रम में आंगनबाड़ी कार्यकर्ती की ओर से योजना के तहत खाद्य सामग्री और सुविधाएं भी गर्भवती महिला को उपलब्ध कराई जाती है.

जिला कार्यक्रम अधिकारी बाल विकास एवं पुष्टाहार अखिलेंद्र दुबे ने बताया कि बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग गर्भवती महिलाएं, किशोरी, बालिकाओं और बच्चों को एनीमिया व कुपोषण से बचाने के लिए काम करता है. स्वास्थ्य जांच, टीकाकरण, प्री स्कूल एजुकेशन, लाभार्थियों को अन्नपूरक पोषाहार का वितरण भी बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से संचालित आंगनवाड़ी केंद्रों पर उपलब्ध कराया जाता है.

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