लखनऊ : मौसम के बदलाव से कीट-रोगों को बढ़ने का वातावरण मिल जाता है. इस समय के तापमान में आम के बौर पर पाउडरी मिल्ड्यू जिसे खर्रा या दहिया रोग भी कहते हैं कि संभावना बढ़ गई है. गुजिया कीट भी बढ़ने लगे हैं. इनके साथ ही बाग में भुनगा पुष्पगुच्छ मिज और बौर का झुलसा रोग भी फैल रहा है. इसलिए इन रोगों और कीटों से बचाने के लिए आम के बाग में सही प्रबंधन कराना जरूरी है. जिसके लिए अगला छिड़काव तभी करें जब फल सरसों के दाने के बराबर का हो जाए.
Lucknow News : फूलने नहीं फलने पर करें आम की बागों में अगला छिड़काव, जानिए जरूरी बातें - आम की देखभाल
मार्च में आम के बाग में खास देखभाल की जरूरत होती है. क्योंकि इस समय पेड़ बौर (मंजरी) लदे होते हैं. जिसकी वजह से कई तरह के कीट-रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है. ऐसे में समय रहते कुछ बातों का ध्यान रखकर बागवान इस नुकसान से बच सकते हैं.
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मुख्य उद्यान निदेशक डॉ. राजीव कुमार वर्मा ने बताया कि अभी बागों में फूल बहुत अच्छे हैं. कहीं कोई कीट और रोग का प्रकोप दिखाई नहीं दे रहा है. अधिकतर बागवान बागों में पहला छिड़काव करा चुके हैं. बहरहाल अब बागवान दवा का छिड़काव न करें, क्योंकि अभी फूल खिल रहे हैं. इसमें दवा का छिड़काव करना अच्छा नहीं होता है. दूसरा छिड़काव बगवान तभी करें जब सरसों के दाने के बराबर फल लग जाए. अन्यथा की दशा में फूलों को नुकसान होगा और फल बैठने से पहले ही नष्ट हो जाएगा.
दूसरे छिड़काव में इन दवाओं का करें इस्तेमाल : कोई भी कीटनाशक दवा अथवा फफूंद नाशक दवा जिसमें गंधक यानी सल्फर युक्त फफूंद नाशक हो उसका छिड़काव करें. जसिडे डायनोकैप, कैराथेंन, हिपिटेबुल सल्फर पाउडर का छिड़काव जरूर करें. क्योंकि खर्रा रोग आने की संभावनाए बनी रहती है. बाकी किसी अन्य कीटनाशक दवाओं के छिड़काव की जरूरत नहीं है.
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