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मौलाना कल्बे जवाद बोले- हजरत फातिमा जहरा का जीवन महिलाओं के लिए सर्वोत्तम आदर्श - Hazrat Fatima Zahra life

लखनऊ के इमामबाड़ा सिब्तैनाबाद (Majlis organized in Imambara Sibtainabad) में मजलिस का आयोजन किया गया. मौलाना कल्बे ने इसका खिताब किया साथ ही इस्लामी तालीमात की एहमियत पर भी बात की. इस दौरान हजरत फातिमा जहरा का जीवन महिलाओं के लिए किस तरह से बेहतरीन था, यह बताया गया.

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मौलाना कल्बे जवाद

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 17, 2023, 5:00 PM IST

लखनऊ: पैगम्बर हजरत मुहम्मद की बेटी हजरत फातिमा जहरा की शहादत के मौके पर अयातुल्लाह सैय्यद अली खामेनाई के दिल्ली स्थित कार्यालय की ओर से हर साल की तरह इस साल भी इमामबाड़ा सिब्तैनाबाद हजरतगंज में दो रोजा मजालिस का आयोजन हुआ. इस सिलसिले की पहली मजलिस को मौलाना फरीदुल हसन, प्रिंसिपल जामिया नाजमियां लखनऊ और दूसरी मजलिस को मजलिस-ए-उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना कल्बे जवाद नकवी ने खिताब किया. मजलिस की शुरुआत कुरान मजीद की तिलावत से कारी मासूम मेहदी ने की. उसके बाद शायरों ने हजरत फातिमा जहरा (स.अ) की खिदमत में नजराने अकीदत पेश किया.

आखरी मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना कल्बे जवाद नकवी ने कहा कि हजरत फातिमा जहरा का जीवन महिलाओं के लिए सर्वोत्तम आदर्श है. जिस तरह अल्लाह ने अपने रसूल को लोगों का मार्गदर्शन करने के लिए भेजा था, उसी तरह हजरत फातिमा जहरा को भी इंसानों के विकास और मार्गदर्शन के लिए भेजा था. विशेष रूप से आपका पवित्र चरित्र महिलाओं के लिए एक बेहतरीन उदाहरण है, जिसकी पैरवी निजात की जामिन है.

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मौलाना ने कहा कि आज के तरक्की याफ्ता दौर में लोग महिलाओं की आजादी और उनके अधिकारों की बात कर रहे हैं और लगातार इसकी मांग कर रहे हैं. लेकिन, अफसोस की बात है कि ऐसे लोग इस्लामी शिक्षाओं पर गौर नहीं करते. क्योंकि इस्लाम ने शुरुआत से ही महिलाओं के अधिकारों पर बात की है. मौलाना ने कहा कि इस्लाम महिलाओं को पूरी आजादी देता है. लेकिन, यह आजादी महिलाओं के लिए खतरनाक साबित न हो, इसलिए आजादी को इस्लामी कानून और शिक्षाओं के मुताबिक होने का पाबंद बना दिया गया है.

मौलाना ने तकरीर के दौरान हजरत फातिमा जहरा की सीरत पर गुफ्तगू करते हुए कहा कि इस दौर में हमारे लिए जरूरी है कि हम हजरत जहरा की जिंदगी और उनकी सीरत को अपनों और दूसरों तक पहुंचाएं. ताकि बीबी के किरदार के बारे में लोगों को आगाही हो सके. जब तक हम अपनी मासूम शख्सियतों की शिक्षाओं को दुनिया के सामने पेश नहीं करेंगे, उस वक्त तक लोगों की राय नहीं बदली जा सकती. मजलिस में मौलाना ने हजरत फातिमा जहरा की शहादत के वाकिये को बयान किया. इसको सुनकर लोगों ने खूब गिरया किया. मजलिस में बड़ी तादाद में मोमनीन, छात्रों और ओलेमा ने शिरकत की. निजामत के फराएज अहमद रजा बिजनौरी ने अंजाम दिए.

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