लखनऊ : अवध अपने गंगा जमुनी तहज़ीब, खुशबूदार पकवान, कारीगरी और कला संस्कृति के लिए हमेशा से ही मशहूर रहा है. महिंद्रा सनतकदा लखनऊ फेस्टिवल 2023 का सफ़ेद बारादरी में उद्घाटन हुआ. लखनऊ में पिछले चौदह साल से आयोजित किए जा रहे इस फेस्टिवल की वार्षिक थीम रक्स-ओ-मौसिकी रखा गया है. फेस्टिवल में इस वर्ष अवध की संस्कृति और परंपराओं का जश्न मनाया जा रहा है. उद्घाटन में जय शाह, महिंद्रा ग्रुप के सांस्कृतिक हेड ने भी उपस्थित होकर सबका जोश बढ़ाया. उद्घाटन में शहर के कुछ ब्रास बैंडों के बीच मुक़ाबला हुआ. जिसने जश्न के माहौल को चार चांद लगा दिया. इसके बाद रक़्स-ओ-मौसिकी तहख़ाना नुमाइश का आग़ाज़ हुआ.
इस कार्यक्रम ने थीम पर खास रोशनी डाली. जिसमें लखनऊ के शास्त्रीय संगीत, नृत्य कलाकारों और सीखने, प्रदर्शन करने व आने वाली पीढ़ियों को अपनी तालीम देने की अनगिनत कहानियां मौजूद रहीं. तस्वीरें, कलाकृतियां और प्रदर्शन ने कैसरबाग के दिल में सांस्कृतिक जागरूकता शुरू की और हर किसी ने खुद को इतिहास का एक जीवित हिस्सा बनता पाया. इसके बाद निर्मल चंदर की डॉक्यूमेंट्री 'ज़िक्र उस परवरिश का' और एस. कालिदास की ‘है अख्तरी’ फिल्म की स्क्रीनिंग की गई. जिसमें गायिका बेग़म अख्तर की ज़िन्दगी पर रौशनी डाला गया. बेग़म अख्तर ग़ज़ल, ठुमरी और दादरा गाने की माहिर थीं. दोनों लघु फ़िल्मों में फनकारों की कहानियां, उनकी यात्रा प्रदर्शन शैलियों, उनके संघर्षों और प्रसिद्धि में वृद्धि की कहानियां बताईं. पहले दिन के उस अंतिम कार्यक्रम में बेगम अख्तर को डॉ. संगीता नारुरकर द्वारा संगीतमय श्रद्धांजलि दी.