लखनऊ: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की यादें लखनऊ नगर निगम से भी जुड़ी हैं. 17 अक्टूबर 1925 को लखनऊ पहुंचे गांधी जी को नगर पालिका (अब नगर निगम) की ओर से अभिनंदन पत्र भेजा गया था. गांधी जी यहां तीन घंटे ठहरे थे. नगर निगम के गेट पर लगा शिलापट्ट आज भी पुराने संस्मरणों की याद दिलाता है.
उस समय नगर पालिका के आमंत्रण को स्वीकारते हुए गांधी जी ने त्रिलोकनाथ हाल में सार्वजनिक सभा को भी संबोधित किया था. नगर पालिका की सभा पांच बजे नगर पालिका के अहाते में हुई थी. उन्होंने इस सभा में कहा कि लखनवी उर्दू या संस्कृतनिष्ट हिंदी नहीं हो सकती है, हिंदुस्तानी हो सकती है. उस दौरान गांधी जी के साथ मोतीलाल नेहरू, पंडित जवाहर लाल नेहरू और सै. महमूद भी मौजूद थे.
महात्मा गांधी के संस्मरणों से जुड़े शिलालेख. हमारे लिए गर्व की बात : महापौर
नगर निगम मुख्यालय पर आयोजित गांधी जयंती के कार्यक्रम में पहुंचीं महापौर संयुक्ता भाटिया ने नगर निगम के बाहर लगे शिलापट को पढ़ते हुए कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि महात्मा गांधी जी ने 17 अक्टूबर 1925 को नगर पालिका का अभिनंदन पत्र स्वीकार किया था. और हमारे त्रिलोकीनाथ हॉल में, जहां अब हमारे नगर निगम का सदन चलता है, वहां सार्वजनिक सभा में भाषण दिया था. विद्यालय की स्थापना से भी जुड़ी गांधी की यादें वर्ष 1916 से 1939 के दरम्यान गांधी जी का लखनऊ आना होता रहा था.
वर्ष 1936 में गांधी जी 28 मार्च से 12 अप्रैल तक लखनऊ में रुके थे. अपने लखनऊ प्रवास के दौरान उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर भी ध्यान दिया. बापू ने हुसैनगंज के चुटकी भंडार स्कूल की नींव रखी थी. इस स्कूल के निर्माण के लिए वर्ष 1921 में गांधी जी के आह्वान पर तिलक स्वराज फंड के लिए चंदा जुटाने की जिम्मेदारी महिलाओं को सौंपी गई थी. ये महिलाएं खाना बनाने के समय चंदे वाली हांडी में चुटकी भर आटा रोज एकत्र करती थीं. फिर उस इखट्टे हुए आटे को बेचकर 64 रुपये चार आना जमा किया गया. इसी रकम से आठ अगस्त 1921 को नागपंचमी के दिन चुटकी भंडार स्कूल की नींव रखी गई थी. मार्च 1936 में गोखले मार्ग पर एक पौधा रोपित किया था, जो आज विशाल वृश्र बन गया है. 28 सितंबर 1929 को बापू ने चिनहट में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की आधारशिला रखी थी. इससे पहले चिनहट में वर्ष 1920 में एक माध्यमिक विद्यालय की आधारशिला भी रखी थी.
कब-कब राजधानी आए बापू
26 दिसंबर 1916 चारबाग स्टेशन पर आयोजित मीटिंग में नेहरू के साथ पहुंचे. 31 दिसंबर 1931 को मुस्लिम लीग सम्मेलन में महात्मा गांधी ने भाग लिया. स्वतंत्रता आंदोलन के चलते लोगों को जागृत करने के लिए 11 मार्च 1919, 15 अक्टूबर 1920, 26 फरवरी 1921, आठ अगस्त 1921, 17 अक्टूबर 1925 और 27 अक्टूबर 1929 को लखनऊ आए.