लखनऊ :आज देश शहीद दिवस मना रहा है.30 जनवरी के ही दिन महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या की गई थी. इस अवसर पर राजधानी लखनऊ में भी कई कार्यक्रम आयोजित होते हैं. महात्मा गांधी का लखनऊ से गहरा लगाव था. गांधी जी आंदोलन को गति देने के लिए सबसे पहले 26 दिसंबर 1916 में बैरिस्टर के रूप में कांग्रेस के 31वें अधिवेशन में भाग लेने के लिए लखनऊ आए थे. इसके बाद उनका लखनऊ से गहरा लगाव हो गया और वे यहां लगातार आते रहे.
कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में पड़ी थी गांधी के महात्मा बनने की नींव - पूर्व मंत्री शीला कौल
आज पूरा देश शहीद दिवस मना रहा है. 30 जनवरी के ही दिन महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. यूपी की राजधानी लखनऊ से महात्मा गांधी का गहरा जुड़ाव रहा. यहीं पर उनके महात्मा बनने की नींव पड़ी थी. देखिए ये खास रिपोर्ट...
बैरिस्टर से महात्मा बनने की हुई शुरुआत
राजधानी लखनऊ में 1916 में 31वां भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन आयोजित हुआ. इसमें भाग लेने के लिए मोहनदास करमचंद गांधी बैरिस्टर के रूप में पहुंचे थे. यहां पर 26 दिसंबर 1916 को पहली बार अधिवेशन के दौरान जवाहरलाल नेहरू से उनकी मुलाकात हुई. उनके विचारों को सुनकर जवाहरलाल नेहरू काफी प्रभावित हुए. इसी अधिवेशन से ही मोहन दास करमचंद गांधी के महात्मा गांधी बनने की शुरुआत हुई थी.
लाल बाग की इस इमारत में गांधी जी ने दिया था संबोधन
नगरपालिका के विशेष आमंत्रण पर 17 अक्टूबर 1925 को महात्मा गांधी लाल बाग स्थित नगर पालिका के त्रिलोकीनाथ हॉल में पहुंचे और वहां पर उन्होंने एक संबोधन भी दिया. वहीं उनके साथ मोतीलाल नेहरू और जवाहरलाल नेहरू भी मौजूद थे. इस इमारत में 3 घंटे से ज्यादा समय तक महात्मा गांधी रुके रहे. यह इमारत 100 साल से पुरानी है. आज इस इमारत में नगर निगम लखनऊ संचालित होता है. नगर निगम कर्मी अलका श्रीवास्तव बताती हैं कि उन्हें इस बात का गर्व है कि वह जिस इमारत में काम करती हैं, वह एक ऐतिहासिक इमारत है और यहां पर महात्मा गांधी जैसे महापुरुष आ चुके हैं.