लखनऊ :भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि के पार्थिव शरीर को संत परंपरा के मुताबिक बुधवार को समाधि दी जाएगी. इसके लिए अखाड़ों के साधु संतों द्वारा वैदिक रीति रिवाज से संत परंपरा के अनुसार उनका संस्कार किया जाएगा. समाधि से पहले उनके पार्थिव शरीर को आम जनता के दर्शन के लिए रखा जाएगा. पुलिस के अनुसार महंत नरेंद्र गिरि का पोस्टमॉर्टम (Post mortem) बुधवार को होगा, इसके बाद भू समाधि दी जाएगी. वहीं, सीएम योगी भी प्रयागराज पहुंचकर महंत नरेंद्र गिरि के अंतिम दर्शन किए और को श्रद्धांजलि दी. इस दौरान सीएम योगी ने कहा कि एक-एक घटाना का खुसासा होगा. दोषियों को कड़ी सजा दी जाएगी.
अखाड़ा परिषद के पंच परमेश्वर ने महंत नरेंद्र गिरी को दी श्रद्धांजलि. हिंदू धर्म में वर्णित संत परंपरा के मुताबिक भारतीय धर्म संस्कृति की रक्षा के लिए बने अखाड़ों में साधु संतों के अंतिम संस्कार की अलग अलग परंपराएं हैं. शैव और वैष्णव संप्रदाय के साधु-संतों के लिए अलग-अलग अंतिम संस्कार की विधियों का वर्णन किया गया है. 13 अखाड़ों में 10 अखाड़े शैव संप्रदाय के हैं, जबकि तीन अखाड़े वैष्णव संप्रदाय के हैं, जिसमें साधु संतों को अग्नि से जलाए जाने का प्रावधान है, जबकि शैव संप्रदाय में आने वाले 10 अखाड़ों के साधु संतों को जल समाधि या भूमि समाधि देने का वर्णन किया गया है. जल समाधि साधु संतों को पद्मासन की मुद्रा में कराया जाता है, लेकिन गंगा में बढ़ते प्रदूषण के चलते महाकुंभ में साधु संतों के द्वारा एकजुट होकर के जल समाधि न देने का निर्णय लिया गया था. अखाड़ों में रहने वाले अगर कोई भी साधु या संत ब्रह्मलीन होता है तो उसे भूमि समाधि दी जाएगी. इस तरह का निर्णय अखाड़ा संप्रदायों के द्वारा लिया गया था. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि की मौत की खबर सुनते ही पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गयी. महंत नरेंद्र गिरि ने जिस कमरे में सुसाइड किया था, वह अंदर से बंद था. लोगों ने कमरे का दरवाजा तोड़कर जब अंदर का दृश्य देखा तो हर कोई सन्न रह गया. नरेंद्र गिरि का शव फंदे से झूल रहा था. उनके निधन के बाद महंत नरेंद्र गिरि और उनके शिष्य आनंद गिरि के बीच हुए विवाद की याद भी ताजा हो गई.
पुलिस के मुताबिक महंत नरेंद्र गिरि के पास से सुसाइड नोट बरामद हुआ. सुसाइड नोट 6-7 पन्नों का बताया जा रहा है. पुलिस के मुताबिक इस सुसाइड नोट में नरेंद्र गिरि के शिष्य आनंद गिरि के बारे में जिक्र है, जिसमें लिखा है - 'मैं सम्मान से जिया, अपमान से नहीं जी पाऊंगा इसलिए आत्महत्या कर रहा हूं'
इसे भी पढ़ें- "ठीक से हस्ताक्षर नहीं कर पाते थे नरेंद्र गिरि तो कैसे लिखा इतना बड़ा सुसाइड नोट"
मठ में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत का यह पहला मामला नहीं है. दो साल पहले नवंबर महीने में भी अखाड़े के एक संत की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. संत का शव उनके कमरे में मिला था. उन्हें गोली लगी थी. उनकी हथेली में पिस्टल फंसी थी और पास में ही खोखे बरामद किए गए थे. मामले में पुलिस ने तीन लोगों को हिरासत में लिया है, जिनसे पूछताछ की जा रही है.
अखाड़ा परिषद के पंच परमेश्वर . संगम स्नान व नगर भ्रमण के बाद दी जाएगी समाधिः हरि गिरी
महंत नरेंद्र गिरी की मौत के बाद मंगलावर को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पंच परमेश्वर बाघम्बरी मठ पहुंचे थे. जहां पर उन्होंने महंत नरेंद्र गिरी को श्रद्धांजलि दी. अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरी ने बताया कि गुरुवार को महंत नरेंद्र गिरी समाधि दी जाएगी. समाधि से पहले उनके पार्थिव शरीर को संगम स्नान के बाद नगर यात्रा करवाई जाएगी. उन्होंने कहा कि अखाड़ा परिषद इस पूरे मामले की अपने स्तर से तीन दिनों तक जांच करेंगे. सभी सभी साधु संत आहत हैं, उनके सामान्य होते ही अखाड़ा शुरू करेगा जांच. महामंत्री हरी गिरी ने कहा कि अखाड़ा परिषद घटना की कानूनी तरीके से किए जाने जांच में किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं करेगा. अखाड़ा परिषद ने महंत नरेंद्र गिरि के शव का पोस्टमार्टम कराने पर भी सहमति जता दी है. हरि गिरी ने कहा कि गुरुवार को महंत नरेंद्र गिरि के पार्थिव शरीर को संगम ले जाकर गंगा स्नान करवाया जाएगा. इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को नगर भ्रमण भी करवाया जाएगा. भ्रमण के बाद मठ बाघमबारी गद्दी में गुरुवार को 11:00 बजे से दोपहर 3:00 बजे के बीच में उनको समाधि दी जाएगी.
सुसाइड नोट को महाफर्जीः महंत धर्मदास
वहीं, महंत धर्मदास ने महंत नरेंद्र गिरी के पास से मिले सुसाइड नोट को फर्जी बताया है. उन्होंने कहा कि महंत नरेंद्र गिरि इतना लंबा सुसाइड नोट नहीं लिख सकते हैं. वह ज्यादातर कागजों पर सिर्फ दस्तखत करते थे. उन्होंने सुसाइड नोट को महाफर्जी करार दिया है इसके साथ ही उन्होंने पूरे घटना की निष्पक्ष तरीके से जांच कर दोषियों का पता लगाए जाने की मांग भी की है.
हनुमान भक्त आत्महत्या नहीं कर सकतेः कांग्रेस नेता
कांग्रेस के उत्तराखंड प्रभारी रहे पूर्व विधायक अनुग्रह नारायण सिंह ने महंत नरेंद्र गिरी की आत्महत्या पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि हनुमान के इतने बड़े भक्त रहे महंत नरेंद्र गिरी इतने कमजोर नहीं थे कि वो आत्महत्या कर लें. इससे पौने दो साल पहले आशीष गिरी के सुसाइड पर भी सवाल खड़े करते हुए इन मामलों की निष्पक्ष जांच की मांग की. कांग्रेस नेता ने कहा कि की एक संत के राज में इस तरह से अवसाद ग्रस्त होकर संतों की जान जा रही है, इस ओर सरकार को ध्यान देना चाहिए.