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लखनऊ: महंत देवेंद्र पुरी ने कहा, संस्कृत भाषा को बचाने के जरूरत - लखनऊ में मनाया गया संस्कृत दिवस

राजधानी लखनऊ में संस्कृत दिवस के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय महंत देवेंद्र पुरी ने कहा कि संस्कृत भाषा को बढ़ाने के लिए गुरुकुल और विश्वविद्यालय खोले जाएं, जिससे आने वाली नई पीढ़ी को संस्कृत भाषा के ज्ञान का अवसर मिल सके.

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जानकारी देते अंतरराष्ट्रीय महंत देवेंद्र पुरी.

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Published : Aug 4, 2020, 6:43 AM IST

लखनऊ:देश में सोमवार को संस्कृत दिवस मनाया गया. ईटीवी भारत से बातचीत में अंतरराष्ट्रीय महंत देवेंद्र पुरी ने कहा कि प्राचीन मान्यता है कि संस्कृत अपने आप में वैदिक भाषा है, जिससे कई असंख्य भाषाओं की उत्पत्ति हुई है. संस्कृत भाषा को बचाने के लिए कई मुहिम चलाई गई है.

जानकारी देते अंतरराष्ट्रीय महंत देवेंद्र पुरी.
उन्होंने कहा कि भारत की सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत है. आधुनिक दौर में लगभग हर क्षेत्र में कहीं न कहीं संस्कृत भाषा का भाव मिलता है. संस्कृत को भाषाओं की जननी कहा जाता है. इस जननी को सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशी भाषाओं की उत्पत्ति का भी जनक कहा जाता है. उन्होंने कहा कि संस्कृत केवल एक भाषा ही नहीं बल्कि एक संस्कृति है, जिसे आज के समय में संजोये रखने की जरूरत है.

महंत देवेंद्र पुरी ने कहा कि वर्ष में एक दिन भारतीयों को देश की मूल भाषा संस्कृत की याद दिलाई जाती है. उन्होंने कहा कि संस्कृति के अस्तित्व को मौजूदा समय में बचाने की जरूरत है और इसे नई पीढ़ी तक पहुंचाने की भी जरूरत है. महंत ने बताया कि कई देशों के राज्यों में आधिकारिक तौर पर संस्कृत भाषा को घोषित किया गया है.
मौजूदा समय में देश से संस्कृत भाषा विलुप्त होती जा रही है. यदि यह भाषा बची रहेगी, तो हमारे देश की सभी भाषाओं का विकास होता रहेगा. उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा को बढ़ावा दिया जाए. इसके लिए गुरुकुल और विश्वविद्यालय खोले जाएं, जिससे आने वाली नई पीढ़ी को संस्कृत भाषा के ज्ञान का अवसर मिल सके.

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