लखनऊ: मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) एक शक्तिशाली चिकित्सा इमेजिंग तकनीक है. यह शरीर की आंतरिक संरचनाओं की विस्तृत चित्रण उत्पन्न करने के लिए एक मजबूत चुम्बकीय क्षेत्र और रेडियो तरंगों का उपयोग करती है. इस तकनीकने चिकित्सा निदान के क्षेत्र में क्रांति ला दी है. इसमें आयोनाइजिंग विकिरण का उपयोग किए बिना उच्च-संकल्प चित्र प्रदान की जाती हैं. आधुनिक एमआरआई तकनीक, जैसे कि Diffusion Weighted Imaging (DWI) जो इश्केमिया और ट्यूमर के विकास का पता लगा सकती है, Perfusion Weighted Imaging (PWI) ट्यूमर की संभावना की जांच कर सकती है. ये आधुनिक एमआरआई तकनीकें शरीर की अवधारणाओं का मूल्यांकन करने की सुविधा प्रदान करती हैं. शारीरिक और शारीरिक प्रक्रियाओं की जानकारी को मिलाकर, ये तकनीकें निदान, उपचार योजना और विभिन्न स्थितियों की मॉनिटरिंग की सटीकता को बढ़ाती हैं.
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के रेडियो डायग्नोसिस विभाग के डॉ. दुर्गेश द्विवेदी ने 3 सत्रों (सिंगापुर, होनोलुलू और केप टाउन में 2024-2026) के लिए अंतरराष्ट्रीय इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर मैग्नेटिक रेजोनेंस इन मेडिसिन (ISMRM) के एएमपीसी (वार्षिक सम्मेलन कार्यक्रम समिति) में सेवा करने के लिए चयन हुआ है. इसकी घोषणा डॉ. द्विवेदी और विख्यात किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के लिए एक अद्वितीय सम्मान है. अनेक प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों और रेडियोलॉजिस्टों में से डॉ. द्विवेदी केवल एकमात्र भारतीय होने के कारण इस मान्यता के लिए विशेष मान्यता प्राप्त कर रहे हैं. जिससे उनकी विशेषता का संकेत है कि वो मैग्नेटिक रेजनेंस इन मेडिसिन की एएमपीसी पर सेवा करने वाले पांचवें भारतीय बने हैं. मैग्नेटिक रेजोनेंस इन मेडिसिन विश्व की सबसे बड़ी वैज्ञानिक सम्मेलन है. जहां दुनिया भर के 6 हजार से अधिक प्रतिष्ठित एमआरआई वैज्ञानिकों और रेडियोलॉजिस्टों का आगमन होता है.