लखनऊ:परम पूज्य श्री मां शारदा देवी की 168वीं जयंती समारोह 5 जनवरी से श्रद्धाभाव से शुरू हुआ. इस अवसर पर निराला नगर स्थित श्रीरामकृष्ण मठ में पहले दिन पूजन-अर्चन व भजन के कार्यक्रम हुए. भक्तों ने सरकार की ओर जारी कोरोना गाइड-लाइन का पालन करते हुए कार्यक्रम में भाग लिया.
श्री रामकृष्ण मठ में मां शारदा देवी जन्मोत्सव समारोह का हुआ आयोजन
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में श्री मां शारदा देवी की 168वीं जयंती समारोह का आयोजन किया गया. इस मौके पर कई कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए. साथ पूजा-पाठ और संकीर्तन किया.
श्री रामकृष्ण मन्दिर में कार्यक्रम की शुरूआत सुबह 5 बजे शंख निनाद और मगंल आरती के साथ हुई. सुप्रभातम् एवं प्रार्थना रामकृष्ण मठ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानन्दजी महाराज ने की. इस दौरान वैदिक मंत्रोच्चारण किया गया. ब्रह्मचारी अनादिचैतन्यजी ने चण्डी पाठ किया. स्वामी इष्टकृपानन्दजी ने विशेष पूजा प्रारम्भ की. इसके बाद 'मां की बातों' से पाठ और श्री शारदा नाम संकीर्तन किया गया. भक्तगणों ने हवन एवं पुष्पांजली अर्पित की और भक्ति संगीत में भाग लिया. पूजा के बाद भक्तगणों के बीच प्रसाद का वितरण सामाजिक दूरी एवं कोविड प्रोटोकॉल के तहत हुआ.
सायंकाल में श्री रामकृष्ण मठ के मंदिर में संध्या आरती के पश्चात एक सभा का आयोजन हुआ. इसमें अंशुमलि शर्मा, राज्य सम्पर्क अधिकारी, राष्ट्रीय सेवा योजना, उच्च शिक्षा विभाग, का 'एक अभिनव शिक्षक श्री मां शारदा देवी' पर व्याख्यान हुआ. स्वामी मुक्तिनाथानन्दजी महाराज ने कहा कि श्री मां शारदा देवी अपने ही जीवन से सबको सिखाया, इसलिये वह अनुकरणीय जीवन के लिए मानों आधुनिक जीवन की एक पाठय पुस्तक थीं. अपने अघ्यक्षीय उद्बोधन के विषय 'युगदेव वंदिता श्री मां शारदा' पर उन्होंने कहा कि भगवान श्री रामकृष्ण इस वर्तमान युग में भगवान के अवतार थे. वह न केवल अपनी अर्धांगिनी श्री मां शारदा देवी की पूजा करते थे, बल्कि इमानदारी से सच्चा प्यार करते थे. दुनिया की महिलाओं के लिए वह एक प्रेरणा थीं. इसके बाद मुख्य मन्दिर में ब्रह्मचारी अनादिचैतन्य ने भजन गाया. उनके साथ तबले पर भातखण्डे संगीत संस्थान के शुभम राज ने साथ दिया. यह कार्यक्रम 10 जनवरी तक होगा.