लखनऊः आजमगढ़ निवासी पांच साल का मासूम प्रांजल पांडेय एक सप्ताह पहले बुखार की चपेट में आ गया. उसे पहले खांसी आने लगी और हल्के बुखार की शिकायत मालूम हुई. जिसके बाद परिजनों ने उसे स्थानीय डॉक्टर को दिखाया. जहां दवाएं चलने के बावजूद हो ठीक नहीं हुआ. इसके बाद उसे मऊ के एक बड़े हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया. वहां भी उसकी स्थिति बिगड़ी गई. जिसके बाद डॉक्टर की सलाह पर परिजन उसे लखनऊ के केजीएमयू लेकर आए. जहां ट्रॉमा सेंटर में मासूम का इलाज चल रहा है. बच्चे के भीतर प्रिजम्पटिव कोविड के लक्षण मिलने से डॉक्टर हैरान हैं.
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कोरोना के लक्षणों वाले एक बच्चे को केजीएमयू के ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया है. सांस लेने में दिक्कत होने पर उसे ऑक्सीजन पर रखा गया है.
मासूम बच्चे के बाबा संजय पांडेय का दावा है कि बच्चा ऑनलाइन पढ़ाई कर रहा है. वो कहीं भी बाहर नहीं निकला. पिता अखिलेश को करीब दो हफ्ते पहले बुखार और खांसी ने जकड़ रखा था. लेकिन चार से पांच दिन में वो ठीक हो गए. उसके बाद ये बच्चा खांसी-बुखार की चपेट में आ गया. बच्चे को सांस लेने में दिक्कत शुरू हो गई. पल्स ऑक्सीमीटर से जांच की गई. जिसमें शरीर में ऑक्सीजन का स्तर 80 से 82 के बीच आया. थकहारकर परिजन बच्चे को केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर लेकर पहुंचे. जहां डॉक्टरों ने कोविड जांच के बाद बच्चे को भर्ती कर लिया. डॉक्टर फेफड़े में संक्रमण की वजह तलाशने में जुट गए हैं. ट्रॉमा प्रवक्ता डॉक्टर संदीप तिवारी के मुताबिक बच्चा ऑक्सीजन सपोर्ट पर भर्ती है. संक्रमण के कारणों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है.
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उधर, केजीएमयू में शनिवार को लिवर प्रत्यारोपित मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया है. तबीयत में सुधार के बाद डॉक्टरों ने मरीज की छुट्टी कर दी है. कुलपति डॉक्टर बिपिन पुरी ने प्रत्यारोपण करने वाली टीम को बधाई दी है. लिवर प्रत्यारोपण को बढ़ाने के लिए कहा है. ताकि जरूरतमंदों को प्रदेश के बाहर न जाना पड़े. खदरा निवासी टाइपिस्ट को पीलिया हो गया था. स्थानीय डॉक्टरों से इलाज कराया. इलाज से आराम मिलने के बजाए तबीयत गंभीर होती चली गई. पेट में रक्तस्राव शुरू हो गया. गंभीर अवस्था में मरीज को केजीएमयू में भर्ती कराया गया था. गेस्टो सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर अभिजीत चन्द्रा के मुताबिक 21 अगस्त को यह ट्रांसप्लांट किया गया. 44 वर्षीय मरीज को उसकी पत्नी ने लिवर दिया. इसका प्रत्यारोपण कठिन था. आमतौर पर लिवर प्रत्यारोपण में दो नसों (वेन) को जोड़ा जाता है. इस प्रत्यारोपण में चार नसों को जोड़ना पड़ा. इसीलिए लिवर को एक घंटे तक बाहर खास तापमान में रखा गया था. छह रक्तवाहिकाओं के अलावा पित्त की नली को रोगी की आंतो से जोड़ा गया. इसमें केजीएमयू के डॉक्टर और स्टॉफ मिलाकर 100 से अधिक की टीम शामिल रही.