लखनऊ : रेलवे प्रशासन की लापरवाही के चलते ट्रेनों के अंदर कई बार बड़े हादसे हो जाते हैं. यात्री अपने साथ ऐसी भी सामग्री लेकर स्टेशन से गुजरते हुए ट्रेन में पहुंच जाते हैं जो हादसे का बड़ा कारण बनती है. अगर मदुरै में हुए पर्यटक कोच में हादसे की बात करें तो सामने आ रहा है कि गैस सिलेंडर पर चाय बनाने के चलते यह दर्दनाक हादसा हुआ. कोच में आग लग गई और कई लोग असमय ही काल के गाल में समा गए. अब सवाल यही उठता है कि स्टेशन से ट्रेन के अंदर तक सिलेंडर पहुंच कैसे गया? स्टेशन पर ज्वलनशील पदार्थ की जांच क्यूं नहीं हुई?
"ईटीवी भारत" ने 17 अगस्त को लखनऊ जंक्शन से रवाना हुई इसी ट्रेन के यात्रियों के सामान की जांच की गई या नहीं, इसे लेकर रियलिटी चेक किया. जो सामने आया वह बेहद हैरान करने वाला है. लखनऊ जंक्शन पर दो लगेज स्कैनर पिछले कई माह से खराब पड़े हुए हैं. यहां किसी तरह की जांच की कोई व्यवस्था ही नहीं है. लखनऊ जंक्शन के स्टेशन निदेशक एके पांडेय का कहना है कि 'लखनऊ जंक्शन से गैस सिलेंडर ट्रेन में नहीं चढ़ा है. यहां से ट्रेन रवाना होने के बाद उन्नाव और कानपुर में ठहरी थी. इन दोनों स्टेशनों से भी श्रद्धालु ट्रेन में सवार हुए थे. हो सकता है कि कोई श्रद्धालु इन्हीं दो स्टेशनों से गैस सिलेंडर लेकर चढ़ गया हो. उनका कहना है कि कोई भी ट्रैवेल एजेंसी कोच बुक कराती है तो उसे रेलवे के नियम और शर्तों के बारे में पूरी जानकारी दी जाती है. ज्वलनशील सामान नहीं ले जाने के लिए एजेंसी की ओर से प्रमाण पत्र सौंपा गया था.
मदुरै में जिस ट्रेन के कोच में आग लगी और कई यात्री हताहत हुए. रेलवे के अधिकारियों की लापरवाही का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लखनऊ जंक्शन पर पिछले 10 माह से दोनों लगेज स्कैनर खराब पड़े हुए हैं. यात्री आराम से सामान लेकर प्लेटफार्म से ट्रेन तक दाखिल हो जाते हैं. यहां पर कोई पूछने वाला तक नहीं है. माना जा रहा है कि 17 अगस्त को भी जब श्रद्धालु ट्रेन में बैठने आए होंगे तो उनके पास भी अगर सिलेंडर रहा होगा तो भी कोई जांच नहीं हुई होगी. अगर यहां पर जांच हो जाती और सिलेंडर पकड़ लिया जाता तो शायद इतना बड़ा हादसा ही नहीं होता. लोग मौत के मुंह में समाने से बच सकते थे, लेकिन अब लोगों का कहना है कि रेलवे की लापरवाही ने तमाम यात्रियों की जान ले ली.
चारबाग स्टेशन पर दुरुस्त है स्कैनर :जहां एक तरफ पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ जंक्शन पर कई माह से लगेज स्कैनर खराब पड़े हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ चारबाग रेलवे स्टेशन पर लगेज स्कैनर ठीक-ठाक कम कर रहा है. यहां पर स्कैनर में समान स्कैन करने के बाद ही यात्री को अंदर जाने दिया जाता है. बाकायदा यहां पर कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है. अगर बात रेलवे स्टेशन तक पहुंचने के लिए एंट्री की करें तो दोनों ही स्टेशनों पर बिना लगेज स्कैनर से गुजरते हुए कोई यात्री आसानी से पहुंच सकता है. लखनऊ जंक्शन में प्लेटफार्म नंबर छह की तरफ से स्टेशन तक पहुंचाने का आसान रास्ता है. कैब वे की तरफ से कोई भी यात्री संदिग्ध वस्तु लेकर स्टेशन पर या फिर ट्रेन के अंदर आराम से पहुंच सकता है. कहीं पर कोई रोक-टोक नहीं है.