लखनऊःनवाबों की नगरी नाम से प्रसिद्ध लखनऊ अपने खान- पान और ऐतिहासिक इमारतों के साथ ही चिकनकारी के लिए भी जानी जाती है. यहां के चिकन के कपड़ों की बॉलीवुड से लेकर विदेशों तक मांग रहती है. कोरोना महामारी के चलते लंबे वक्त तक लगे लॉक डाउन के बाद से यह उद्योग बुरी मार झेल रहा है. दुकानें भले ही दोबारा खुल गई हैं, लेकिन मंदी का असर इस व्यापार पर साफ दिख रहा है. चिकनकारी उद्योग से 4 से 5 लाख लोग जुड़े हैं. वहीं इस चिकन का व्यापार सालाना 500 करोड़ तक हुआ करता था, लेकिन अब काफी गिरावट आ चुकी है. कारीगर इस काम को छोड़ दूसरी जगह काम-धंधा तलाश रहे हैं. इस उद्योग से जुड़े व्यापारियों ने आगामी आम बजट में मदद की मांग की है.
वित्तमंत्री जी! संकट में है चिकन के कपड़ों का व्यापार, बजट में दे दीजिए थोड़ी राहत
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के चिकन के कपड़े देश-विदेश में प्रसिद्ध हैं लेकिन यह उद्योग फिलहाल मंदी की मार झेल रहा है. कारीगर यह काम छोड़ रहे हैं. व्यापारियों की मांग है कि केंद्र सरकार के आगामी आम बजट में उनके लिए राहत पैकेज दिया जाए.
कारोबारियों को आम बजट से उम्मीदें
केंद्र सरकार एक फरवरी को आम बजट पेश करेगी. बजट में चिकन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए घोषणा हो सकती है. पीवीएस चिकन के मालिक और लखनऊ चिकनकारी हैंडीक्राफ्ट एसोसिएशन के मेंबर इंद्रजीत सिंह ने कहा कि कारीगरों को बढ़ावा देने की ज़रूरत है क्योंकि सबसे ज़्यादा प्रभावित कारीगर तबका हुआ है. ऐसे में वह इस काम को छोड़ रोज़गार के दूसरे साधन ढूंढ रहा है. अगर सरकार कारीगरों को बढ़ावा देती है तो इस काम को फिर से जान मिलेगी. जो लोग यह काम छोड़ रहे हैं, वो वापस इससे जुड़ेंगे. इंद्रजीत सिंह ने कहा कि सरकार को छोटे व्यपारियों और कारीगर तबके का ध्यान रखते हुए चिकन उद्योग से जीएसटी को खत्म करना चाहिए.
ODOP के तहत मिलना चाहिए बढ़ावा
कारोबारी इंद्रजीत सिंह ने कहा कि चिकन उद्योग ODOP यानी वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट की योजना में शामिल है. हर साल तक़रीबन 500 करोड़ का व्यापार इस उद्योग से होता था. सरकार को ऐसे कदम उठाने चाहिए, जिससे इस व्यापार में दोबारा से जान आए और 4 से 5 लाख लोगों के प्रभावित परिवार बेहतर ढंग से काम कर सकें.
जुड़े हैं 2 हजार गारमेंट्स मेन्युफैक्चरर्स
गौरतलब है कि एक बड़ी आबादी इस उद्योग से जुड़ी है. अगर राजधानी लखनऊ की बात की जाए तो 2 हज़ार के करीब गारमेंट्स मेन्युफैक्चरर्स इस काम से जुड़े हैं. मार्च महीने से लेकर मई और जून तक इस कारोबार का खूब व्यापार होता है. चिकन के कपड़े सिर्फ देश ही नहीं दुबई, पाकिस्तान, अमरीका, स्पेन, बंग्लादेश, श्रीलंका और कई मुल्कों में निर्यात होते हैं. ऐसे में चिकनकारी को बढ़ावा देने की सरकार को बेहद ज़रूरत है.