लखनऊ: प्रदेश की राजधानी लखनऊ जिसे पौराणिक रूप से भगवान राम के भाई लक्ष्मण द्वारा बसाया गया शहर कहा जाता है, यहां आदि गंगा गोमती के तट पर आस्था का एक नया केंद्र बनकर तैयार हो रहा है. हनुमंत धाम के नाम से बन रहे इस आस्था के केंद्र में हनुमान जी की सवा सौ मूर्तियां लगाई जा रही हैं, जिनमें सबसे बड़ी मूर्ति 111 फीट ऊंची होगी. गोमती के तट पर स्थित हनुमंत धाम स्थल पर विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाए जा रहे हैं ताकि श्रद्धालुओं को छाया और सुकून मिल सके. ज्येष्ठ माह के बड़े मंगल को यानी कुछ ही दिनों बाद इस मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा.
कैसरबाग स्थित शनि देवता मंदिर के निकट ही एक लगभग चार सौ साल पुराना हनुमान जी का मंदिर स्थापित है. देखरेख के अभाव में यह मंदिर जीर्ण-शीर्ण हो चुका था. इसी बीच राजधानी के कुछ उद्योगपतियों, जिनमें एक इकाना स्टेडियम का निर्माण कराने वाले भी शामिल हैं ने इस मंदिर का कायाकल्प कर यहां एक विहंगम हनुमंत धाम बनाने का संकल्प किया. उन्होंने हनुमंत धाम के नाम से एक ट्रस्ट बनाया जिसके बाद 2013 से इस मंदिर का निर्माण कार्य आरंभ हुआ जो अनवरत जारी है. बड़े मंगल पर मंदिर श्रद्धालुओं के लिए भले ही खोल दिया जाए, किंतु अभी मंदिर परिसर में निर्माण और सुंदरीकरण के कार्य जारी रहेंगे.
इस मंदिर के महंत राम सेवक दास बताते हैं कि ट्रस्ट बन जाने के बाद मंदिर के सुंदरीकरण का काम आरंभ हुआ. वह कहते हैं कि हनुमंत धाम में हनुमान जी की सवा लाख छोटी-बड़ी मूर्तियां स्थापित किए जाने का संकल्प किया गया है, जिनमें काफी मूर्तियां स्थापित भी हो चुकी हैं. उन्होंने बताया कि हाल ही में एक पांच फीट की हनुमान जी की प्रतिमा जयपुर से बनकर आई है, जिसका वजन तीन टन है. इस मंदिर परिसर की भूमि लगभग पांच बीघा है. ट्रस्ट के लोगों ने हनुमंत धाम के विकास में हर चीज का ध्यान रखा है. मसलन यहां श्रद्धालुओं को रुकने की पर्याप्त व्यवस्था है. पानी-छाया और हरियाली के साथ यहां तरह-तरह के फूलों के पौधे भी लगाए गए हैं. अब तक यहां विभिन्न प्रजातियों के लगभग एक लाख पौधे रोपे जा चुके हैं. जगह-जगह पर बैठने की व्यवस्था की गई है. घास लगाई गई है. यहां एक ऐसा कुंड भी बनाया गया है, जिसका जल लगातार फिल्टर होता रहता है. यह जल शुद्ध होकर एकदम नीला दर्शन योग्य हो जाता है. वह बताते हैं मंदिर परिसर में एक व्यास गद्दी भी बनाई गई है, जिसमें कथा और अन्य अनुष्ठान भी किए जा सकेंगे. व्यास गद्दी के आसपास दस हजार लोग बैठ सकेंगे.