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अजय मिश्रा की कंपनी के कारनामों के बाद जागा एलयू प्रशासन, लगाएगा अपना सर्वर - set up

भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे कुलपति प्रो. विनय पाठक के साथी अजय मिश्रा की कंपनी के कारनामों के खुलासे के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन जागा है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपने छात्रों की परीक्षा के गोपनीय डाटा को सुरक्षित रखने के लिए अपना खुद का सर्वर लगाने का फैसला किया है. इसके लिए परीक्षा समिति ने प्रस्ताव कुलपति के पास भेजा है.

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Published : Dec 2, 2022, 10:36 AM IST

लखनऊः भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे कुलपति प्रो. विनय पाठक के साथी अजय मिश्रा की कंपनी के कारनामों के खुलासे के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन जागा है. विश्वविद्यालय प्रशासन (एलयू प्रशासन) ने अपने छात्रों की परीक्षा के गोपनीय डाटा को सुरक्षित रखने के लिए अपना खुद का सर्वर लगाने का फैसला किया है. इसके लिए परीक्षा समिति ने प्रस्ताव बनाकर कुलपति के पास भेजा है. यह प्रस्ताव वित्त समिति में रखा गया है.

कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय पाठक (Vice Chancellor of Chhatrapati Shahuji Maharaj University, Kanpur, Prof. Vinay Pathak) पर अक्टूबर में बिल पास करने के बाद में कमीशन की रकम वसूलने के लिए बंधक बनाने को लेकर नामजद एफआईआर दर्ज हुई है. लखनऊ के इंदिरानगर थाने में प्रो. विनय के अलावा उनके साथी और एक्सलिक्ट प्राइवेट लिमिटेड के मालिक अजय मिश्रा पर भी एफआईआर दर्ज हुई है. यूपी एसटीएफ ने इस मामले की जांच करते हुए आरोपी अजय मिश्रा को गिरफ्तार किया. एसटीएफ की जांच में अजय मिश्रा के कारनामों के पर-दर-परत नित्य खुलासे हो रहे हैं.


अजय मिश्रा की एजेंसी लविवि में कार्यरत :लखनऊ विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग का सारा गोपनीय काम अजय मिश्रा की एक्सलिक्ट प्राइवेट लिमिटेड करती है. उनकी कंपनी विश्वविद्यालय में करीब एक दशक से काम कर रही है. अजय मिश्रा विश्वविद्यालय के परीक्षा परिणाम तैयार करने से लेकर अंकतालिका, डिग्री, प्रश्नपत्र छपवाने सहित तमाम गोपनीय काम करती है. जानकारों के अनुसार सबसे पहले विश्वविद्यालय में परीक्षा विभाग से सभी काम उसके पास है. प्रश्न पत्र से लेकर ओएमआर शीट तक छापने का पूरा काम अजय मिश्रा की कंपनी कर रही है.


कुलपति बरार के समय निजी एजेंसी ले गई थी डाटा : लखनऊ विश्वविद्यालय में करीब ढाई दशक से अधिक समय से परीक्षा विभाग के गोपनीय काम निजी कम्प्यूटर एजेंसियां ही करती रही हैं. यहां तक की परीक्षा के लिए पर्चे भी छपवाने का काम भी निजी एजेंसियां ही करती हैं. सूत्र बताते हैं कि कुलपति बरार के समय परीक्षा का काम कर रही निजी एजेंसी अपने साथ छात्रों का डाटा भी ले गई थी. काफी मशक्कत के बाद छात्रों का डाटा विश्वविद्यालय को वापस मिल पाया था. वहीं अजय मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद से ही विश्वविद्यालय में हलचल मची हुई है, क्योंकि वह यहां काम कर रहा है. सूत्र बताते हैं कि इस प्रकरण में लविवि के लोग की गर्दन भी फंस रही है. यही वजह है कि अब उन्हें छात्रों का डाटा सुरक्षित करने की चिंता सता रही है और विवि प्रशासन अब अपना सर्वर स्थापित करने जा रहा है, हालांकि कार्य परिषद से इसकी मंजूरी मिलना बाकी है.

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