लखनऊ : भारत को वर्ष 2028-29 तक 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था (5 trillion dollar economy) वाला देश बनाने के साथ ही उत्तर प्रदेश की इकोनॉमी को 1 ट्रिलियन डॉलर (1 trillion dollar economy) तक पहुंचाने में लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) अपना सक्रिय योगदान देगा. लविवि के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय के निर्देशन में इसके लिए प्रयास तेज कर दिए हैं. विश्वविद्यालय की तरफ से परिसर में इंक्यूबेशन सेंटर खोले जाने के लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है. यह सेंटर ओएनजीसी बिल्डिंग में प्रस्तावित है. जिससे पढ़ने वाले छात्रों को स्टार्टअप शुरू करने में मदद मिलेगी.
बात पांच ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी की हो या फिर 1 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी की, विश्वविद्यालय की आय का साधन छात्रों से लिए जाने वाले शुल्क, विश्वविद्यालय को प्राप्त होने वाले फंड पर निर्भर करती है. ऐसे में विवि को प्राप्त होने वाली प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रदेश की अर्थव्यवस्था का एक अंग होती है. इस बार विवि को रिकाॅर्ड संख्या में विदेशी छात्रों के आवेदन प्राप्त हुए हैं. छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो पूनम टंडन के मुताबिक, 800 आवेदन इस बार विवि को प्राप्त हुए हैं. पहली बार इतनी संख्या में विदेशी छात्रों ने एडमिशन लेने की दिलचस्पी दिखाई है. शायद, इसके पीछे नैक की ग्रेडिंग भी एक बड़ा कारण है. यदि विदेशी छात्रों के पिछले तीन वर्ष के आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 19-20 में जहां 77 विदेशी छात्र थे, वहीं 20-21 में 141 और 21-22 में 125 दाखिले हुए थे. वहीं 22-23 में इनकी संख्या 800 तक पहुंच गयी है. ऐसे में विवि का मानना है कि इतनी संख्या में विदेशी छात्रों के विवि में आगमन से जहां प्रदेश की इकोनॉमी को रफ्तार मिलेगी, वहीं देश की अर्थव्यवस्था में भी इसका अंश समाहित रहेगा. वहीं विवि को मिलने वाले फंड भी अर्थव्यवस्था का हिस्सा होंगे. कोरोना काल से दो वर्ष पूर्व विवि को तकरीबन 50 से 60 करोड़ रुपए फंड मिले थे, इनमें कई तो विदेशी संस्थानों द्वारा पोषित थे.