लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों में छात्रसंघ को लेकर सरकार खामोश है. ऐसे में अब छात्रों ने इसे लेकर संघर्ष की राह पकड़ ली है. इसके चलते लखनऊ विश्वविद्यालय में "संयुक्त छात्रसंघ बहाली मोर्चा' बनाया गया है. एनएसयूआई (National Student Union Of India), आइसा (All India Student Union) व समाजवादी छात्रसभा सभी इस मोर्चे के साथ आ गए हैं. वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) छात्रसंघ चुनाव को लेकर अपने स्तर पर संघर्ष कर रहा है.
छात्रसंघ बहाली को लेकर रणनीति बनाते छात्र
मोर्चे में शामिल एनएसयूआई के छात्रनेता आर्यन मिश्र ने बताया छात्रसंघ चुनाव के मुद्दे को लेकर छात्रों के साथ बातचीत की जा रही है. विश्वविद्यालय के छात्रावास में रहने वाले छात्रों से भी इस मुद्दे पर बातचीत की गई. प्रदेश के दूसरे राज्य विश्वविद्यालयों के छात्रनेताओं के साथ विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रनेताओं को भी इस मुहिम में जोड़ा जा रहा है. बताया कि पहले चरण में छात्रों से संवाद के बाद प्रदेश सरकार से लेकर भाजपा, सपा समेत सभी राजनैतिक दलों के नेताओं को पत्र भेजे जाएंगे. उसके बाद भी अगर बात नहीं बनी तो बड़ा आंदोलन और प्रदर्शन होगा.
यह है यूपी में छात्रसंघ का हाल
गौरतलब है कि साल 2007 में उत्तर प्रदेश की सत्ता में मायावती के आते ही प्रदेशभर के राज्य विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनावों पर रोक लगा दी गई थी. तत्कालीन सीएम मायावती ने कहा था कि छात्रसंघ की वजह से यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में अराजकता फैलती है. तभी से प्रदेश में छात्रसंघ चुनाव प्रभावित हैं. वहीं, 2012 में अखिलेश यादव के सत्ता में आने के बाद चुनाव कराने की घोषणा तो की गई लेकिन यह पूरी तरह जमीन पर नहीं उतर पाई. वर्तमान में कुछ विश्वविद्यालयों को छोड़कर ज्यादातर विश्वविद्यालयों में चुनाव नहीं हो रहे हैं.
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लखनऊ विश्वविद्यालय में 2012 में लिंगदोह समिति की सिफारिश के आधार पर चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू की गई. इसी दौरान एक छात्रनेता के कोर्ट में जाने के कारण प्रक्रिया लंबित हो गई. वर्ष 2019 में उस छात्रनेता की ओर से अपनी याचिका वापस लेने के बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन खामोश है. छात्रसंघ चुनाव कराने के लेकर कोई कदम नहीं उठा रहा है.
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