लखनऊ: कोरोना संक्ट के कराण लगे लॉकडाउन में काफी समय से घरों में कैद युवाओं में अब गुस्सा बढ़ने लगा है. हालत यह है कि छोटी-छोटी बातों पर उनका अपने माता-पिता तक से झगड़ा होने लगा है. लखनऊ विश्वविद्यालय की ओर से शुरू किए गए काउंसलिंग कार्यक्रम में इस तरह की शिकायतें सामने आई हैं.
परामर्श और मार्गदर्शन प्रकोष्ठ की निदेशक प्रोफेसर मधुरिमा प्रधान का कहना है कि कोरोना संक्रमण के कारण एक साल से ज्यादा समय खराब हो चुका है. युवाओं में काफी चिंता है. पिछले कुछ दिनों की काउंसलिंग के दौरान, छात्रों के प्रमुख मुद्दे प्रवेश, परीक्षा कार्यक्रम, करियर, कोविड से संबंधित लक्षणों के कारण एकाग्रता में कठिनाई और स्वयं और परिवार के सदस्यों के भीतर कुछ शारीरिक लक्षणों से संबंधित थे.
युवाओं में है यह डर
प्रोफेसर मधुरिमा प्रधान ने बताया कि पिछले वर्ष कोरोना संक्रमण की पहली लहर का छात्रों ने सकारात्मक रूप से सामना किया. लेकिन, अब स्थितियां अलग हैं. युवा अपने भविष्य को लेकर परेशान हैं. कई छात्र ऐसे भी हैं जिन्होंने पिछले साल पढ़ाई पूरी कर ली थी और खराब हालातों के कारण आज तक नौकरी नहीं पा सके हैं. कुछ छात्र माता-पिता की उम्मीदों को पूरा करने के लिए घबराहट का अनुभव कर रहे है. कुछ माता-पिता के झगड़ों और विवादों के कारण अकेला और उदास महसूस करते हैं.
ऐसे करें गुस्से पर काबू
- इस दौरान विशेषज्ञों की ओर से छात्रों को इस तनाव को दूर करने और खुद पर नियंत्रण करने के टिप्स भी दिए गए.
- नकारात्मक भावनाओं पर नियंत्रण करने के लिए कौशल विकसित करने और समय प्रबंधन का अभ्यास करते रहना चाहिए.
- सकारात्मक कथनों के उपयोग और कोरोना संदेशों से मुक्त भाषा का उपयोग करने के लिए परामर्श दिया गया.
- दैनिक या साप्ताहिक आधार पर सुंदर और लचीले ढंग से समय निर्धारित करना है. ताकि योग, श्वास, दृश्य और ध्यान अभ्यास उनकी दिनचर्या मे शामिल हो.
- छात्रों को अध्यापन का समय, संगीत, कला, पेंटिंग, खाना बनाना, नृत्य, गायन आदि के शौक भी पूरे करने का समय निकालने की सलाह दी गई.
- माता-पिता के विवादों को नजरअंदाज करने, अपनी नकारात्मक भावनाओं के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने और अपने माता-पिता को अच्छे और हंसमुख मूड में रहने में मदद करने का भी सुझाव दिया गया.
- सकारात्मक कथन के उपयोग से मन को सार्थक कार्यों में ऊर्जा खर्च करने और रोग से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करने मे मदद मिलेगी.
- नियमित प्रार्थना, ध्यान, प्राणायाम, मंत्र जाप, हवन हमें इस आध्यात्मिक जुड़ाव को बनाए रखने और स्वयं के साथ-साथ दूसरों के लिए भी एक शांतिपूर्ण और खुशहाल जीवन जीने में मदद कर सकता है.