लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय के सोशल वर्क विभाग में हुए एक शोध में यह आंकड़ा निकलकर सामने आया है कि ग्रामीण परिवेश में रह रहे युवा (महिलाओं) कहीं न कहीं यह मानते हैं कि उनके साथ घर पर उत्पीड़न हो रहा है. इस संदर्भ में विभाग के प्रोफेसर का कहना है कि यह उत्पीड़न का मुख्य कारण समय से रोजगार न मिलाना और परिवार की आर्थिक स्थिति भी एक कारण है. विश्वविद्यालय इस पूरे शोध के लिए परिवारों से करीब 200 से अधिक सवाल पूछे थे. जिसमें उनके परिवार की औसत आय, मासिक आय, परिवार के कुल लोगों की संख्या, परिवार का मुख्य व्यवसाय, शैक्षिक स्तर तथा परिवार में रहे लोगों की औसत आयु से जुड़े सवाल पूछे गए थे. इस पूरे शोध में सामने आया है कि 72.35 फ़ीसदी लोगों ने माना है कि उनके साथ उत्पीड़न हो रहा है. और इसके पीछे का मुख्य कारण परिवार की मौजूदा स्थित है.
दो ग्राम पंचायत में किया गया शोध : लखनऊ विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग के शोध छात्र नीरज कुमार वर्मा ने यह शोध किया है. उन्होंने यह सोच अपने गाइड वह प्रोफेसर आरके सिंह की निगरानी में इसे पूरा किया है. प्रोफेसर आरके सिंह ने बताया कि इस शोध के लिए लखनऊ की दो ग्राम पंचायत मलिहाबाद और काकोरी का चयन किया गया था. इसमें विशेष रूप से दोनों ग्राम पंचायत से 20-20 परिवारों को शामिल किया गया था. उसके बाद इन परिवारों के सभी सामाजिक आयाम को जानने के लिए 200 से अधिक प्रश्न तैयार कर उनके जवाब उनसे पूछे गए थे और उसके आधार पर पूरा विश्लेषण किया गया है. प्रोफेसर सिंह ने बताया कि यह शोध कार्य विशेष रूप से ग्राम पंचायत की मौजूदा भूमिका पर आधारित था. जिसका असर वहां रह रहे लोगों विशेष तौर पर वहां की महिलाओं पर किस तरह से पड़ रहा है. इसे जानने के लिए यह शोध किया गया है. उन्होंने बताया कि इस शोध में कई चीजे सामने आए हैं पर इसमें युवा उम्र की महिलाओं से पूछे गए सवालों में जब उनसे पूछा गया कि उत्पीड़न का स्तर क्या है तो जो आंकड़े आए हैं. वह थोड़े चौंकाने वाले हैं.
ग्रामीण परिवारों की मासिक आय | परिवारों में कुल सदस्य संख्या | परिवारों की मौजूदा स्थिति |
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72.35 प्रतिशत महिलाओं के साथ उत्पीड़न : प्रोफेसर राजकुमार सिंह ने बताया कि इस शोध में जब इन परिवारों के लोगों से पूछा गया कि उनके साथ किस तरह का उत्पीड़न होता है. तो तो सभी ने निम्न व मध्यम स्तर के उत्पीड़न की बात कही जो आमतौर पर भारतीय घरों में देखने को मिलता है. उन्होंने बताया कि जब इस उत्पीड़न के प्रकार के बारे में ग्रामीणों से बात की तो उन्होंने कहा कि यह ऐसे उत्पीड़न नहीं है. जिन्हें कानूनी दायरे में परिवार के लोग लाते हो, पर हां यह जरूर है कि इस तरह के उत्पीड़न क्या वह रोज शिकार होते हैं. रिसर्च में 72.35 प्रतिशत महिलाओं ने बताया कि उनका उत्पीड़न होता है. जिसमें से 38.24 प्रतिशत महिलाओं ने मना किया उत्पीड़न का स्तर निम्न लेवल का है जबकि 34.12% महिलाओं ने माना कि उनके साथ हो रहा उत्पीड़न का स्तर माध्यम है.