लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय के डॉ. रविकांत की हिंदू मंदिर पर की गई टिप्पणी ने विश्वविद्यालय में माहौल गरमा दिया है. छात्र आमने-सामने आ गए हैं. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद डॉ. रविकांत के विरोध में उतर आया है. ABVP के कार्यकर्ताओं ने डॉ. रविकांत को इस टिप्पणी पर अंजाम भुगतने तक की चेतावनी दे दी. छात्रों ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि अगर डॉ. रविकांत विश्वविद्यालय परिसर में कहीं दिखते हैं तो उनकी जानकारी दें.
एबीवीपी के एक कार्यकर्ता अमन दुबे ने लिखा है, प्रो.रविकांत तुमने हर सीमा लांघ दी है इस बार, हिंदू मंदिरों के बारे में कुप्रचार व अभद्र टिप्पणी करना तुम्हे बहुत महंगा पड़ने वाला है.....'
परिसर में डॉ रविकांत को लेकर बड़े विरोध भड़कने की आशंका के चलते सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है.
उधर, एनएसयूआई की तरफ से डॉ रविकांत के पक्ष में संदेश जारी किए जा रहे हैं. एनएसयूआई लखनऊ यूनिवर्सिटी के टि्वटर हैंडल से जारी संदेश में कहा गया है, @Profravikant79जी विश्वविद्यालय के एक सम्मानित शिक्षक है, अगर उन्होंने कुछ गलत कहा है तो कार्रवाई करने के लिए पुलिस है. @profalokkumar जी मामले को संज्ञान में लेते हुए और विश्वविद्यालय की गरिमा को बनाए रखने के लिए ऐसे छात्रों पर पर जल्द से जल्द कार्रवाई कीजिए.
एक टीवी चैनल पर की थी टिप्पणी
डॉ. रविकांत लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में कार्यरत हैं. सोमवार की शाम उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. जिसमें उन्हें हिंदू देव-देवताओं और मंदिरों पर टिप्पणी करते हुए देखा गया. डॉक्टर रविकांत पहले भी विवादित टिप्पणियों को लेकर काफी चर्चा में रहे हैं. उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर आने के बाद से ही लगातार विवाद मचा हुआ है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की तरफ से रात से ही उन्हें घेरना शुरू कर दिया गया था. वर्तमान में विश्वविद्यालय परिसर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. डॉ. रविकांत को लेकर, बड़े विरोध की आशंका जताई जा रही है.
प्रोफेसर डॉ. रविकांत पर FIR दर्ज
एक टीवी चैनल पर काशी विश्वनाथ मंदिर को लेकर अभद्र टिप्पणी करने वाले लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षक रविकांत के खिलाफ FIR दर्ज की गई है. हसनगंज थाने में लखनऊ विश्वविद्यालय के एक छात्र अमन दुबे की तरफ से दी गई तहरीर पर यह कार्रवाई की गई. उधर, इस पूरे मामले को जातीय रंग देने के भी आरोप लगे हैं.
आरोप लग रहे हैं कि जब विवाद खड़ा हुआ तो रविकांत की तरफ से इस पूरे मामले को जातीय रंग देने की कोशिश की गई. उन्होंने सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट साझा की. जिसमें उन्होंने इस पूरे मामले पर दलित उत्पीड़न का रंग चढ़ाने की कोशिश की. हालांकि बाद में उन्होंने ही वह सभी पोस्ट डिलीट कर दी.
इसे भी पढे़ं-ज्ञानवापी मामले में कोर्ट को गुमराह करने का आरोप, महिला पक्षकार नहीं लेगी केस वापस