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लखनऊ विश्वविद्यालय : कॉपी जांचने में लापरवाही अब गुरुजी को पड़ेगी भारी

लखनऊ यूनिवर्सिटी में अब चुनौती मूल्यांकन की नई व्यवस्था लागू कर दी गई है. इस संबंध में परीक्षा विभाग की ओर से सभी महाविद्यालय के प्रिंसिपल को निर्देश जारी कर दिए गए हैं. इस सेमेस्टर से स्टूडेंट्स को नई व्यवस्था का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा.

लखनऊ यूनिवर्सिटी में चुनौती मूल्यांकन की नई व्यवस्था लागू.
लखनऊ यूनिवर्सिटी में चुनौती मूल्यांकन की नई व्यवस्था लागू.

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Published : Jan 4, 2021, 7:01 PM IST

लखनऊ : लविवि ने चैलेंज इवैल्यूएशन (चुनौती मूल्यांकन) की नई व्यवस्था को लागू कर दिया है. दो चरण में होने वाली इस प्रक्रिया में पहले चरण में स्कैन कॉपी दिखाई जाएगी और दूसरे चरण में परीक्षक दोबारा कॉपी का मूल्यांकन करेंगे. इस संबंध में परीक्षा विभाग की ओर से सभी महाविद्यालय के प्रिंसिपल को निर्देश जारी कर दिए गए हैं.

राज्यपाल के प्रमुख सचिव महेश कुमार गुप्ता ने 26 नवंबर को सभी यूनिवर्सिटी के कुलपति को पत्र लिखकर चुनौती मूल्यांकन की नई व्यवस्था लागू करने को कहा था. इसके बाद लविवि ने इस व्यवस्था को लागू कर दिया है. लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.आलोक कुमार राय ने बताया कि इस सेमेस्टर से स्टूडेंट्स को नई व्यवस्था का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा. चैलेंज मूल्यांकन का प्रस्ताव जल्द ही कॉलेजों को भेज दिया जाएगा.

प्रति विषय 2500 रुपए शुल्क करना होगा जमा
चैलेंज इवैल्यूएशन में परिणाम जारी होने के 30 दिन के अंदर स्टूडेंट्स ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. हालांकि स्कैन कॉपी देखने के लिए 300 रुपए शुल्क रखा गया है. यदि ऑनलाइन कॉपी देखने के बाद स्टूडेंट्स नंबरों से संतुष्ट नहीं हैं तो वह इवैल्यूएशन के लिए 2500 शुल्क जमा कर आवेदन कर सकता है. यह आवेदन उसे रिजल्ट जारी होने के 45 दिन के अंदर करना होगा. इसके लिए उसे प्रति विषय के हिसाब से फीस जमा करनी होगी.

पूर्व के अंकों को छुपाकर कराया जाएगा मूल्यांकन
चुनौती मूल्यांकन के दूसरे चरण में हर प्रश्न पत्र के लिए कम से कम 4 विषय विशेषज्ञों या परीक्षकों का एक पैनल विभाग के माध्यम से बनाया जाएगा. इनमें से किन्हीं दो परीक्षकों द्वारा कॉपी का मूल्यांकन किया जाएगा. पूर्व के अंकों को छुपाकर मूल्यांकन कराया जाएगा और मूल्यांकन के बाद दोनों नंबरों का आंकलन किया जाएगा. यदि औसत और मूल अंक में 20 फीसदी से ज्यादा का अंतर हुआ तो स्टूडेंट से जमा कराए गए 2500 रुपये शुल्क में से 1000 रुपये वापस कर दिए जाएंगे.

पांच से अधिक मामले पर परीक्षक होंगे डिबार
वहीं अगर 20 फीसदी से अधिक नंबरों का बदलाव होता है, तो मूल परीक्षक को नोटिस भेजी जाएगी. लेकिन इसके बाद भी किसी परीक्षक के ऐसे तीन मामले और सामने आते हैं तो उसका मूल्यांकन पारिश्रमिक ही रोक दिया जाएगा. जबकि पांच से अधिक मामले आने पर परीक्षक को कम से कम 2 साल के लिए डिबार कर दिया जाएगा. वहीं 10 से अधिक मामले सामने आने पर परीक्षक को प्रतिकूल प्रविष्टि जारी की जाएगी.

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