लखनऊ:रूस-यूक्रेन (ukraine russia news) के बीच अभी भी तनातनी जारी है. युद्ध के इस माहौल में भारत सरकार लगातार अपने स्टूडेंट्स को यूक्रेन सेनिकाल रही है. ऐसे खौफनाक मंजर का सामना करके घर लौटे स्टूडेंट्स जब परिवार से मिले तो लिपट कर रोने लगे. ईटीवी भारत ने जब स्टूडेंट से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि हमें उम्मीद नहीं थी कि हम अपने वतन लौट पाएंगे. हमने सब कुछ किस्मत पर छोड़ दिया था.
आकांक्षा ने पुलिस अधिकारियों से बात करते हुए एक वीडियो हमसे साझा किया. इसमें उसने बताया कि जब यूक्रेन में बमबाजी और सायरन की आवाज आ रही थी, उस समय हम सभी काफी डर गए थे. मैं यूक्रेन में अपनी कजन सिस्टर के साथ रहती थी, लेकिन वो युद्ध से पहले ही काम के सिलसिले से मुम्बई चली गई थी. मैं वहां एमबीबीएस की पढ़ाई करती हूं. हमें यह जानकारी मिली थी कि रूस के सैनिक आएंगे, गेट खटखटाएंगें और पूछेंगे कि हम इंडियन है या नहीं. अगर इंडियन होगें तो हमें कुछ नहीं करेंगे.
उसने आगे बताया कि जब सुबह 4:30 बजे मेरा गेट खटखटने की आवाज आई तो उस समय हमें लगा कि रूसी सैनिक है, लेकिन वह नहीं थे. वहां से हमें निकालने के लिए हमारी यूनिवर्सिटी से स्टूडेंट्स ही नॉक कर रहे थे. फिर उस लोकेशन से दूसरी जगह गए क्योंकि वह लोकेशन टारगेटेड थी. वहां बम गिरने का संदेह था. फिर हम बंकर में पड़े रहे. हमने सब किस्मत पर छोड़ दिया था. जो किस्मत में लिखा होगा वहीं होगा. हम चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते थे. स्थितियां हमारे बस में नहीं थीं. अब जब घर आ गए हैं तो सुकून की सांस ले पा रहे हैं. जितने दिन-रात वहां बीते, सब डर में बीते. यहां पैरेंट्स से मिलकर ऐसा लगा अब मुझे कुछ नहीं हो सकता.
पल भर में बदल गया मंजर
यूक्रेन के टेनीपिल शहर की मेडिकल यूनिवर्सिटी में अगरतमाल एवेन्यू निवासी मोहित कुमार ने बताया कि 23 फरवरी को उनका बर्थडे था. अगले दिन सुबह दोस्त ने बताया कि यूक्रेन और रूस के बीच जंग का एलान हो गया है. गनीमत रही कि हम वेस्टर्न बॉर्डर वाले शहर में थे. किसी तरह खाने-पीने का सामान लेकर बस में सवार हुए और रोमानिया पहुंचे. बॉर्डर पार करने के बाद राहत की सांस ली. 3 मार्च को मुंबई पहुंचे, वहां से लखनऊ आए.
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13,000 किमी रास्ता तय कर पहुंची पोलैंड