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Published : May 3, 2023, 8:45 AM IST

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कोविड-19 के दौरान स्टूडेंट्स को राहत देने को लेकर हाईकोर्ट के आदेश की अनदेखी कर रहे स्कूल

कोविड-19 के दौरान स्कूली बच्चों को राहत देने को लेकर हाईकोर्ट के आदेश की अनदेखी राजधानी के स्कूल कर रहे हैं. हाईकोर्ट ने दो सत्रों में छात्रों को फीस में दी गई राहत की जानकारी मांगी थी, लेकिन एक सप्ताह गुजरने के बाद भी कई स्कूलों ने ये जानकारी ( Lucknow Schools not giving information) नहीं दी है.

कोविड-19 के दौरान स्कूली बच्चों को राहत देने को लेकर हाईकोर्ट के आदेश
कोविड-19 के दौरान स्कूली बच्चों को राहत देने को लेकर हाईकोर्ट के आदेश

लखनऊः कोरोना काल के दौरान प्राइवेट स्कूलों में अभिभावकों कोशिश में 15% की राहत देने की हाईकोर्ट के आदेश को लेकर राजधानी के स्कूलों में कोई भी तेजी नहीं दिख रही है. जिलाधिकारी के आदेश पर जिला विद्यालय निरीक्षक ने राजधानी के सभी प्राइवेट स्कूलों को निर्देश जारी करके दो सत्रों में छात्रों को फीस में दी गई राहत की जानकारी मांगी थी. करीब 1 सप्ताह बीतने को है राजधानी के केवल तीन विद्यालयों को छोड़कर किसी भी बड़े विद्यालय ने अभी तक इसकी सूचना जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय को नहीं दी है.

आलम यह है कि राजधानी के सैकड़ों प्राइवेट स्कूल जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय को हल्के में ले रहे हैं. यही कारण है कि नामचीन स्कूल न तो ब्योरा दे रहे हैं और न ही अभिभावकों के फीस संयोजन करने के प्रार्थना पत्र ही स्वीकार कर रहे हैं. मौजूदा समय में 5 लाख से अधिक विद्यार्थी निजी स्कूलों में पढ़ रहे हैं.


लखनऊ की बात करें तो मौजूदा समय में करीब ढाई सौ से अधिक निजी स्कूल संचालित हैं. इसमें कई बड़े स्कूल जैसे सिटी मांटेसरी स्कूल, रानी लक्ष्मी बाई मेमोरियल स्कूल, लखनऊ पब्लिक स्कूल एंड कॉलेज, लखनऊ पब्लिक स्कूल, दिल्ली पब्लिक स्कूल व स्प्रिंग डेल जैसे बड़े स्कूलों की कई ब्रांच हैं. इन सभी स्कूलों में मौजूदा समय में करीब पांच लाख के करीब विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं.

जिला विद्यालय निरीक्षक ने 28 अप्रैल तक सभी विद्यालयों से जानकारी मांगी थी कि उन्होंने सत्र 2020-21 में पंजीकृत कुल कितने छात्रों के फीस का समायोजन किया है. इसका पूरा विवारण उन्हें बनाकर हाईकोर्ट को देना था. पायनियर मांटेसरी सेंट जोसेफ स्कूल को छोड़कर किसी और विद्यालय ने अभी तक अपनी जानकारी जिला विद्यालय निरीक्षक को नहीं मुहैया करायी है.

विद्यालय दूसरे विकल्प तलाश रहे हैं: वहीं जिला विद्यालय निरीक्षक के इस आदेश के बाद राजधानी के कई बड़े प्रतिष्ठित निजी विद्यालय फीस समायोजन की जानकारी देने के बजाय दूसरे विकल्प तलाशना शुरू कर दिए हैं. जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार कुछ विद्यालय प्रबंधक इस मामले को लेकर दोबारा से हाई कोर्ट में जाने की तैयारी कर रहे हैं. वहीं इस पूरे मामले पर अनिर्वेद स्कूल एसोसिएशन ने भी पूरी तरह से चुप्पी साध ली है.

वहीं निजी विद्यालयों ने जिला विद्यालय निरीक्षक को सूचना दी है कि फीस समायोजन की जानकारी देना उनके लिए संभव नहीं है. इस पूरे मामले पर जिला विद्यालय निरीक्षक राकेश कुमार पांडे ने कहा कि वह विद्यालयों के जवाब से संतुष्ट नहीं है. उन्होंने कार्यालय द्वारा भेजे गए प्रारूप पर छात्र संख्या के हिसाब से जानकारी मांगी है. उन्होंने कहा कि अगर विद्यालय जल्द जानकारी नहीं देते हैं. तो इन विद्यालय के लिए एक 3 सदस्य कमेटी बनाई गई है. जो स्कूलों में जाकर वहां से जानकारी लेगी और शासन को भेजेगी.



प्राइवेट विद्यालयों को तीन जानकारियां देनी हैं:जिला विद्यालय निरीक्षक सभी प्राइवेट विद्यालयों को भेजे गए आदेश में तीन चीजों की जानकारी मांगी गई है. सभी विद्यालयों को यह बताना है कि उन्होंने 15% फीस किन-किन विद्यार्थियों को वापस की है. उनका नाम, कक्षा व कितनी धनराशि वापस की है. इसकी जानकारी उपलब्ध करानी है. दूसरा विद्यालयों को मौजूदा सत्र में कितने विद्यार्थियों को 15% फीस वापस की गई है. इसकी जानकारी जिसमें विद्यार्थी के नाम, कक्षा और कुल धनराशि बतानी है. वहीं विद्यालयों को यह भी बताना है कि उन्होंने विद्यार्थियों को फीस नहीं वापस की है, तो इसका कारण क्या है.

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