लखनऊ: यूपी एड्स कंट्रोल सोसायटी ने नियमों को ध्यान में रखकर निजी ब्लड बैंकों को एनओसी जारी किया था. इसमें दूरी-मानक समेत सभी बिंदुओं की अनदेखी हुई है. अहम बात यह है कि निजी ब्लड बैंकों के पास अस्पताल न होने के बावजूद उन्हें एनओसी जारी कfया गया है. एनओसी जारी होने के एक महीने के भीतर ही ड्रग विभाग को लाइसेंस जारी करना जरूरी होता है. एड्स कंट्रोल सोसायटी के जरिए एनओसी जारी करने के बाद इन ब्लड बैंकों की मॉनिटरिंग नहीं की जाती है. इसका फायदा निजी ब्लड बैंक उठा रहे हैं.
राजधानी में करीब 30 निजी ब्लड बैंकों का संचालन हो रहा है. इसमें चैरिटेबल ब्लड बैंक की तादाद करीब 20 है, जोकि बिना हॉस्पिटल के संचालित हो रहे हैं. चैरिटेबल के नाम पर खुले ब्लड बैंकों पर खून के अवैध धंधे का कारोबार हर साल पकड़ा जाता है. बावजूद इसके विभागीय अफसर आंखें मूंदे बैठे रहते हैं.
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