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लखनऊ की नगरीय सीमा में शामिल 88 गांव के लोगों का जीवन दुश्वार, इन मूलभूत जरूरतों की दरकार

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Published : Apr 25, 2023, 7:44 PM IST

Updated : Apr 25, 2023, 8:57 PM IST

राजधानी लखनऊ की नगरीय सीमा बढ़ा दी गई, लेकिन विकास की रफ्तार नहीं बढ़ी, नतीजतन नगरीय विस्तार में शामिल किए गए 88 गांवों का बुरा हाल है. पंचायतें समाप्त होने से यहां नाली, खड़ंजा निर्माण जैसे जरूरी काम भी नहीं हो पा रहे हैं. इसके चलते इन इलाकों में रहने लोगों का जीवन दुश्वार हो गया है.

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लखनऊ की नगरीय सीमा में शामिल 88 गांव के लोगों का जीवन दुश्वार.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ नगरीय सीमा का विस्तार कर 88 गांवों को नगर निकाय क्षेत्र में शामिल किया गया था. इसके बाद अभी तक इन बढ़ी हुई नगर की सीमाओं से जुड़े ग्राम पंचायतों में नगरीय सुविधा नहीं पहुंच पाई हैं. ईटीवी भारत ने मंगलवार को राजधानी लखनऊ के कई गांवों का दौरा किया, जिनकी सीमा अब नगर निगम में शामिल हो चुकी है.

लखनऊ की नगरीय सीमा में शामिल 88 गांव के लोगों का जीवन दुश्वार.


करीब तीन साल पहले राज्य सरकार ने राजधानी लखनऊ के 88 गांवों को लखनऊ नगर निगम की सीमा का विस्तार करते हुए उन्हें शामिल करने का शासनादेश जारी किया था. तीन साल के बाद भी इन बढ़ी हुई नगर निकाय की सीमाओं में रहने वाले लोगों की समस्याएं जस की तस हैं. मूलभूत सुविधाओं से भी यहां के स्थानीय लोग वंचित हैं. सड़क नाली खड़ंजा स्ट्रीट लाइट जैसी सुविधाएं भी नहीं मिल पाई हैं. सड़कों पर पानी भरा रहता है और बारिश के दिनों में लोगों को तमाम तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

लखनऊ की नगरीय सीमा में शामिल 88 गांव के लोगों का जीवन दुश्वार.


लखनऊ की पॉश कॉलोनी कही जाने वाली गोमतीनगर विस्तार के खरगापुर जैसे प्रमुख इलाकों की समस्याएं सरकार को मुंह चिढ़ाने वाली हैं. यहां सड़कों पर पानी भरा हुआ है. कॉलोनी के अंदर तालाब जैसी स्थिति बनी हुई है. गलियों में पानी भरा हुआ है, नालियां अभी तक बन नहीं पाई हैं. बिजली के तार बेतरतीब लटके हुए हैं. बारिश के दिनों में यह कॉलोनी तालाब की शक्ल में बदल जाती है. छोटे-छोटे बच्चों को स्कूल आने जाने में भी तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ता है. बच्चों के स्कूल बैग भी अक्सर खराब बो जाते हैं, लेकिन नगर निगम के अधिकारियों और शासन तंत्र की लापरवाही के चलते स्थानों पर विकास अभी नहीं पहुंच पाया है.

लखनऊ की नगरीय सीमा में शामिल 88 गांव के लोगों का जीवन दुश्वार.


स्थानीय निवासियों का कहना है कि यहां की समस्याओं को दूर करने के लिए कई बार मुख्यमंत्री हेल्पलाइन आईजीआरएस पर शिकायत दर्ज कराई गई. अधिकारियों से मिलकर ज्ञापन दिए गए, लेकिन समस्याएं दूर नहीं हुईं. सड़कों पर पानी भरा हुआ है. सड़क पूरी तरह से टूट चुकी है. नालियां, खड़ंजा नहीं हैं. बिजली के तार अस्त व्यस्त हैं. स्ट्रीट लाइट की समस्या है. खरगापुर के पूर्व प्रधान देवेश यादव ने ईटीवी भारत से कहा कि हम लोगों ने कई बार अधिकारियों से बातचीत कर ज्ञापन सौंपा. समस्याओं के निस्तारण के लिए धरना प्रदर्शन भी किया है. नगर निकाय चुनाव के बाद हमारे क्षेत्रों में अगर विकास ठीक से नहीं हुआ तो बड़े स्तर पर धरना प्रदर्शन किया जाएगा.


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Last Updated : Apr 25, 2023, 8:57 PM IST

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