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डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल में इनफर्टिलिटी ओपीडी तो बन गया, लेकिन नहीं हो रहीं सारी जांचें - लखनऊ में इनफर्टिलिटी का इलाज

हजरतगंज स्थित डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल में हाल ही में इनफर्टिलिटी विभाग बनाया गया था. जिसमें दो महिला रोग विशेषज्ञ वर्तमान में तैनात हैं. इस विभाग के होने से इनफर्टिलिटी की समस्या से परेशान मरीजों को कोई राहत नहीं पहुंच रही है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 29, 2023, 8:55 PM IST

डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल में नहीं हो रहीं सारी जांचें. देखें खबर

लखनऊ : हजरतगंज स्थित डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल में हाल ही में इनफर्टिलिटी विभाग बनाया गया था. इसके बावजूद इनफर्टिलिटी की समस्या से परेशान मरीजों को कोई राहत नहीं मिल रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां पर इनफर्टिलिटी के लिए जो मशीनें या जांचें होनी अनिवार्य होती हैं, वह जांचें यहां नहीं होती हैं. इसलिए अलग से इनफर्टिलिटी विभाग बनने का कोई भी फायदा नजर नहीं आ रहा है. ऐसे में जो महिलाएं यहां इलाज के लिए आती हैं, उन्हें बस एक गार्डर के तौर पर डॉक्टर गाइड करती हैं कि उन्हें यह समस्या है और इसका इलाज के महिला रोग विभाग में होगा. जिसके कारण मरीजों को इधर से उधर दूसरे संस्थानों में भाग दौड़ करनी पड़ती है.

राजधानी लखनऊ में स्वास्थ्य सेवाएं.



सिविल अस्पताल में इनफर्टिलिटी इंचार्ज वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. रश्मि गुप्ता ने बताया कि इनफर्टिलिटी के लिए रोजाना अस्पताल में 5 से 10 केस आते हैं. यह निर्भर करता है कि रोजाना ओपीडी कितने मरीज की हो रही है. 10 से नीचे केस जल्दी नहीं आते हैं. इनफर्टिलिटी की समस्या एक बड़ी समस्या है. बहुत से ऐसे दंपती इलाज के लिए आते हैं जो वर्षों से संतान सुख से वंचित हैं. ऐसे में हम उनकी काउंसिलिंग करते हैं. उन्हें इनफर्टिलिटी की पूरी प्रक्रिया के बारे में समझते हैं. बहुत सी जांचें अस्पताल में हो जाती है और जो जांच अस्पताल में नहीं हो पाती है. उनके लिए हम मरीज को अन्य अस्पताल में रेफर कर देते हैं ताकि उनकी जांच वहां पर हो सकें.

राजधानी लखनऊ में स्वास्थ्य सेवाएं.



डॉ. रश्मि गुप्ता ने बताया कि बहुत सारी जांचें अस्पताल में हो जाती है. सारी जांच यहां पर हो सकें. इसके लिए अस्पताल प्रशासन कोशिश कर रहा है कि जल्दी यहां पर सारी व्यवस्थाएं सुनिश्चित हो जाए ताकि जो भी मरीज यहां पर आते हैं. उन्हें बांझपन का पूरा इलाज यही से प्राप्त हो सके. फिलहाल जो जांचें अस्पताल में नहीं होती है. उसके लिए मरीज को अन्य अस्पताल रेफर किया जाता है. जिस कारण उन्हें वहां पर हो सकता है कि कुछ समस्या होती होगी. इसलिए अस्पताल प्रशासन यहां पर सभी जाती सुनिश्चित करने जा रहा है.

राजधानी लखनऊ में स्वास्थ्य सेवाएं.



डॉ. रश्मि गुप्ता के अनुसार इनविट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) तब होता है जब एक अंडे को शरीर के बाहर निषेचित किया जाता है. अंडाशय को सामान्य से अधिक अंडे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए प्रजनन दवा ली जाती है. अंडाशय से अंडे निकाले जाते हैं और प्रयोगशाला में शुक्राणु के साथ निषेचित किया जाता है. फिर एक निषेचित अंडा (भ्रूण) बढ़ने और विकसित होने के लिए गर्भाशय में वापस आ जाता है.


यह लत बना सकती है बांझ

कई बार अंडाशय में अंडे न बनने का कारण महिला की गलत आदतें भी हो सकती हैं. जैसे शराब व धूम्रपान की लत होती है. सिगरेट में अनेक केमिकल होते हैं जो अंडों को प्रभावित कर देते हैं और अंडे की गुणवत्ता को कम कर देते हैं. इसके अलावा शराब महामारी चक्र को प्रभावित करता है. अच्छे अंडे नहीं बनने का कारण आपका अधिक वजन हो सकता है.

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