लखनऊ :तेलीबाग निवासी नंदनी डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल में फिजीशियन डॉक्टर से मिलने पहुंचीं. बीते चार-पांच दिनों से उन्हें उल्टी, दस्त और बुखार आ रहा था. जिस पर डॉक्टर ने उन्हें कोरोना जांच की सलाह दी. जांच रिपोर्ट नेगेटिव निकली. जिसके बाद डॉक्टर ने नंदनी को कुछ दवाइयां लिखीं. नंदिनी ने बताया कि चार दवाइयों में से दो दवाएं हमें बाहर से लेनी पड़ीं और दो दवाएं हमें अस्पताल से मिली. बाहर से जो हमने दवाई ली है उसमें एक एंटीबायोटिक है और नाइस की टैबलेट है. दोनों दवाइयों का एक एक पत्ता लेने पर 213 रुपये लग गए हैं. घनश्याम तिवारी (42 वर्ष) ने नेत्र रोग विभाग में डॉक्टर को दिखाया. इसके बाद डॉक्टर ने कुछ दवाएं लिखीं. जिसमें से सिर्फ एक दवा अस्पताल से मिली और आई ड्रॉप बाहर से लेनी पड़ी. जिसकी कीमत 250 रुपये है.
सिविल अस्पताल के निदेशक डॉ. नरेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि हमारे अस्पताल में यूपी ड्रग काॅरपोरेशन या फिर यूपी मेडिकल सप्लाईज कॉरपोरेशन से दवाएं लेते हैं. अस्पताल की ओर से इनकी ऑनलाइन साइट पर हम दवाओं के लिए आवेदन करते हैं. अस्पताल में दवाई की कमी होने का मुख्य वजह है कि जितनी हमारे अस्पताल की डिमांड होती है. उसका सिर्फ 40 प्रतिशत ही दवाएं उपलब्ध हो पाती हैं. यही कारण है कि हमें बार-बार इनकी साइट पर जाकर दवाइयों के लिए अप्लाई करना पड़ता है. हालांकि ज्यादातर दवाएं मरीज को अस्पताल से उपलब्ध हो जाती हैं. कुछ दवाएं ऐसी होती हैं जो उस समय पर खत्म रहती हैं. जिसकी वजह से मरीज को बाहर से लेनी पड़ती है. सिविल अस्पताल में रोजाना 1000 से 5000 के बीच में मरीज आते हैं. सिविल अस्पताल हजरतगंज के बीच सेंटर में है और विधनसभा के पीछे है तो यही कारण है कि यहां पर मरीजों का दबाव रहता है.