लखनऊ : बाराबंकी से अपनी मां का इलाज कराने के लिए बलरामपुर अस्पताल पहुंचे राघव यादव ने बताया कि वे बलरामपुर अस्पताल इलाज के लिए आते रहते हैं. मां का यहां से डायलिसिस होता है. ऐसे में मुझे महीने में एक दो बार आना ही पड़ता है. करीब छह साल से यहां इलाज चल रहा है. इन छह सालों में बलरामपुर अस्पताल में काफी बदलाव देखा है. यहां पर पहले गर्मी हो या सर्दी रैन बसेरा की सुविधा अच्छी नहीं थी. इस स्थिति में पेड़ों के नीचे दिन बिताना पड़ता था. पहले रैन बसेरे में कोई व्यवस्था नहीं थी. बस टीन शेड था. जिसके नीचे काफी तीमारदार ठहरते थे. मौजूदा समय रैन बसेरा की स्थिति काफी ज्यादा सुधर गई है. यहां पर नया रैन बसेरा बना है. जिसकी हालत काफी अच्छी है. यहां अब सीलिंग फैन भी लगे हुए हैं. साफ-सुथरे बेड़ हैं और टाइल्स मार्बल लगा हुआ है. पूरी साफ-सफाई इस समय रहती है.
बस्ती जिले से अपनी पत्नी का इलाज कराने के लिए आए नंदकिशोर ने बताया कि पत्नी के सिर में ब्लड क्लोट हो गया है. जिस कारण से बार-बार उन्हें अस्पताल लाने की जरूरत पड़ रही है. यहां पर इलाज शुरू हो गया है. इलाज शुरू होने के बाद इसके साथ एक परिवार के सदस्य का ठहरना जरूरी होता है. ऐसे में यहां पर रुका हुआ हूं. काफी अच्छी व्यवस्था यहां पर देखने को मिल रही है. पिछले सात दिन से यहां पर ठहरा हूं. यहां पर सुबह, दोपहर, शाम साफ सफाई करने वाले आते हैं. सीलिंग फैन लगे हुए हैं. रैन बसेरा पूरा पक्का है और टाइल्स मार्बल भी लगा हुआ. बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. रमेश गोयल ने बताया कि पिछले पांच साल से रैन बसेरे के लिए कोशिश कर रहा था. रैन बसेरा था, लेकिन व्यवस्थित नहीं था. टीनशेड का रैन बसेरा था. मरीजों के साथ आने वाले तीमारदारों को दिक्कत परेशानी होती थी. इसके लिए शासन से अनुमति मांगी गई थी. जब बजट पास हुआ है. उसके बाद यहां पर व्यवस्थित रैन बसेरा बनाया गया है.