यूपी में कोरोना से निपटने की रणनीति की जानकारी देते डॉ. वेद प्रकाश . लखनऊ : केजीएमयू के पलमोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने कहा कि फ्रंटलाइन कोविड-19 क्रिटिकल केयर एलायंस मार्च 2020 में स्थापित किया गया था. उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा सुझाए गए प्रीवेंशन को उत्तर प्रदेश सरकार ने गंभीरता से लिया और इसी के कारण कोविड-19 महामारी के दौरान नए कोविड केस और मौतों की रोकथाम में गिरावट आई थी. उत्तर प्रदेश में जिस प्रकार से कोविड-19 को मात देने के लिए रणनीति बनाई गई. इसे वाशिंगटन डीसी (यूएसए सीनेट) में प्रस्तुत किया गया.
यूपी में कोरोना से निपटने की रणनीति.
डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि कोविड की पहली और दूसरी लहर सबसे ज्यादा खतरनाक साबित हुई थी. जिसमें मानव जीवन पर काफी दुष्प्रभाव छोड़ा. कोरोना वायरस पहली लहर में पूरे देश भर में खौफ का माहौल बन गया था. यहां तक कि डर के मारे लोग घर के बाहर नहीं निकल रहे थे और न ही जांच करवा रहे थे, क्योंकि उन्हें डर था कि अगर जांच कराया गया और रिपोर्ट पॉजिटिव आ गया स्वास्थ्य विभाग की टीम उन्हें उठा ले जाएगी और क्वॉरेंटाइन कर देगी. इस दौरान मेरे द्वारा ही सरकार को यह राय दी गई कि लोगों को इस खौफ से निकालना बहुत जरूरी है. इसके लिए जरूरी है कि लोग खुद आगे बढ़कर अपनी जांच कराएं और अगर उनकी स्थिति बहुत खराब है तो उन्हें अस्पताल में भर्ती किया जाए. वरना उन्हें घर पर ही क्वॉरेंटाइन किया जाए और इसकी पूरी निगरानी स्वास्थ्य विभाग और कोविड कंट्रोल टीम करें.
यूपी में कोरोना से निपटने की रणनीति.
होम आइसोलेशन के सुझाव के बाद खाली हुए अस्पताल : डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि वह एक ऐसा दौर था जब अस्पतालों में भी जगह नहीं बची थी, क्योंकि लोगों के अंदर इतना डर बन गया था कि रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद में तुरंत ट्रीटमेंट चाहते थे. बहुत से मरीजों की मौत वायरस के कारण डर और सदमा लगने के चलते भी हुई है. अस्पतालों में भी गंभीर मरीजों को भर्ती करने की जगह नहीं बची थी. जिसके कारण सरकार को यह सुझाव दिया गया कि जिन लोगों की रिपोर्ट कोविड पॉज़िटिव आ रही हैं. उन्हें घर में ही क्वॉरेंटाइन किया जाए. इससे अस्पतालों में भी मरीजों की संख्या कम हुई. जिससे गंभीर रूप से कोविड से पीड़ित मरीज के लिए अस्पताल खाली हुआ. उधर लोगों में भी खौफ कोविड को कम हुआ. कोविड की लहर में लोग खुद आगे बढ़कर अपनी कोविड की जांच करा रहे थे. अगर किसी की रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही थी तो वह खुद को होम आइसोलेशन में कर ले रहा था. फायदा यह हुआ कि अस्पतालों में गंभीर मरीज को बेड उपलब्ध होने लगा.
होम आइसोलेशन मरीजों के लिए तैयार किए गए मेडिकल किट : डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि यूपी और बिहार ने इवरमेक्टिन और अन्य दवाएं वितरित कीं. यूपी में पहले मेडिसिन किट में वयस्कों के लिए लगभग 71 लाख और दूसरे मेडिकल किट में इवरमेक्टिन, पीसीएम, डॉक्सी/एजिथ्रो, विटामिन-सी, विटामिन-बीसी, विटामिन-डी3 ग्रामीण क्षेत्र के सभी प्रधानों को वितरित की गईं. मेडिसिन वितरण के लिए प्रधानों को इसकी जिम्मेदारी दी गई. ग्रामीण क्षेत्रों में नोडल कार्यालय बनाया गया. जिसके तहत यह मेडिकल किट हर घर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई. इसके अलावा पांच दिन बाद कोविड जांच के लिए सरकार और स्वास्थ्य विभाग की ओर से जनमानस को एक मैसेज दिया गया. जिसमें यह कहा गया कि छह मिनट वॉक टेस्ट वह खुद करें. अगर इन छह मिनट वॉक टेस्ट में वह थकावट महसूस नहीं कर रहे हैं. शरीर में दर्द नहीं है. कमजोरी महसूस नहीं हो रही है या आलस नहीं आ रहा है तो मतलब कि आपको कोविड नहीं हैं.
छह मिनट वॉक टेस्ट में फेल मरीजों के लिए : डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि पहले और दूसरे मेडिकल किट के बाद सरकार की ओर से तीसरे मेडिकल किट को भी लोगों के लिए लाया गया. ऐसे मरीज जो छह मिनट वॉक टेस्ट में विफल रहे उनके लिए डेक्सामेथासोन दिन में 16 एमजी, स्टेट एफ/बी 8एमजी, बीडी तीन दिनों के लिए, बीडी 4एमजी तीन दिनों के लिए किट दी गई. इसके अलावा जिन्हें डायबिटीज है वह सावधानी के साथ खाएं और अन्य दवाओं में सरफ्सिन (Cefixime 200mg BD) दिया गया.
योगी सरकार को प्रस्तुत किया था दवा का रिजल्ट : डब्ल्यूएचओ ने कोविड में इवरमेक्टिन के उपयोग को खारिज करने के लिए दवा साइड इफेक्ट्स कारण बताया था. यह दवा ने मरीजों को कोविड से ठीक करने में बहुत मदद की. इसका एक अच्छा रिजल्ट सामने आया. उन्होंने बताया कि यूपी में महामारी का प्रबंधन करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता वाली समिति के सामने कुछ डाटा प्रस्तुत किया था.
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