लखनऊ : हजरतगंज स्थित डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल में जल्द ही ईईजी मशीन स्थापित होने जा रही है. इस मशीन के स्थापित हो जाने से हजारों मरीज को आसानी से बीमारी का परीक्षण हो सकेगा. इलेक्ट्रोइन्सेफलोग्राम (ईईजी) टेस्ट की सहायता से मस्तिष्क की सामान्य और असामान्य स्थिति का पता चलता है. वर्तमान समय में इस मशीन का विशेष महत्व है. इस तकनीक में पतले तारों की छोटी डिस्क, जिनको इलेक्ट्रोड भी कहते हैं. इसको मस्तिष्क के हर भाग पर लगाया जाता है.
सिविल अस्पताल की मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. दीप्ति सिंह ने बताया कि अस्पताल में रोजाना विभाग में रोजाना 150 से 200 मरीज पहुंचते हैं. इस समय अस्पताल की ओपीडी में हर तरह और हर उम्र के मरीज आ रहे हैं. बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि इस जांच का इस्तेमाल ऐसे मरीजों के लिए होता है जो मिर्गी से पीड़ित है या जिन मरीजों को सदमे आते हैं. अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 15 से 20 मरीज ऐसे आते हैं. जिनकी यह जांच कराने की आवश्यकता होती है. कभी इससे अधिक भी हो जाते हैं. यह मरीज ऐसे होते हैं जो अपने वश में नहीं होते हैं. अचानक से उन्हें दौरे पड़ने शुरू हो जाते हैं या फिर अचानक से चक्कर आ गया गिर गए मिर्गी आने लगे तो इन मरीजों के लिए काफी ज्यादा सहायक साबित होता है. सही समय पर अगर बीमारी डायग्नोस हो जाती है और उसे समुचित इलाज मिल जाता है तो बीमारी को ठीक किया जा सकता है.
डॉ. दीप्ति ने बताया कि ईईजी द्वारा मस्तिष्क की तरंगों के पैटर्न पर नजर रखी जाती है और उनको रिकॉर्ड किया जाता है. धातु से बनी कुछ छोटी सपाट डिस्क होती हैं जो एक तार से जुड़ी होती हैं. इन्हें इलेक्ट्रोड्स कहा जाता है, जिसे सिर पर चिपकाया जाता है. इलेक्ट्रोड्स मस्तिष्क में विद्युत आवेगों का विश्लेषण करता है और उनको सिग्नल के रूप में कंप्यूटर तक भेजता, कंप्यूटर द्वारा इन सिग्नल्स को रिकॉर्ड किया जाता है. ईईजी टेस्ट का उपयोग कुछ प्रकार के मस्तिष्क विकारों का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है.