उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

Asthma : बदलते मौसम में अस्थमा के मरीजों की बढ़ी समस्या, इन बातों का ध्यान रखने से होगा आराम

पर्यावरण में नमी के कारण दमा के मरीजों की समस्या बढ़ जाती है. इसके अलावा प्रदूषण की वजह से अस्थमा के मरीजों की हालत गंभीर हो जाती है. छाती रोग विशेषज्ञों के अनुसार बदलते मौसम में ऐसे मरीजों को खास एहतियात बरतने की जरूरत होती है.

Etv Bharat
Etv Bharat

By

Published : Jul 3, 2023, 1:35 PM IST

Updated : Jul 3, 2023, 2:49 PM IST

बदलते मौसम में अस्थमा के मरीजों की बढ़ी समस्या. देखें खबर

लखनऊ : अस्थमा में सांस की नलियों में जलन, सिकुड़न या सूजन की स्थिति और उनमें ज़्यादा बलगम बनना, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है. सिविल अस्पताल के सीएमएस व वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. राजेश श्रीवास्तव के मुताबिक दमा मामूली हो सकता है या इसके होने पर रोजमर्रा के काम करने में समस्या आ सकती है. कुछ मामलों में इसकी वजह से जानलेवा दौरा भी पड़ सकता है. मौजूदा समय में पर्यावरण में नमी के कारण भी दमा के मरीजों को खास दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कई बार नमी और प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ जाता है कि अस्थमा का मरीज जब बाहर निकलता है तो उसकी हालत गंभीर हो जाती है.

अस्पतालों में बढ़ रहे अस्थमा के मरीज.
बदलते मौसम में अस्थमा के मरीजों की बढ़ी समस्या.
अस्पतालों में बढ़ रहे अस्थमा के मरीज.



डॉ. राजेश ने बताया कि मौजूदा समय में मौसम बदल रहा है और जब भी कभी मौसम में परिवर्तन होता है उस समय दमा के मरीज और जितने भी साथ संबंधित बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या है वह बढ़ जाती है. मौसम में नमी होती हैं जिस कारण उन्हें सांस लेने में समस्या होने लगती है. इन दिनों अस्पताल भी ऐसे ही मरीजों से भरा हुआ है ओपीडी में रोजाना 25 से 30 मरीज दमा के ऐसे आते हैं जिन्हें बुरी तरह से सांस लेने में दिक्कत होती है और बिना इनहेलर के नहीं चल पाते हैं. मौसम में परिवर्तन होता है तो इस तरह के मरीज जो बिना इनहेलर के नहीं रह पाते हैं या ऐसे मरीज जिन्हें दमा की शुरुआती लक्षण समझ में आ रहे हैं, वह परेशान हो जाते हैं. उन्हें सांस लेने में दिक्कतें होती हैं.

अस्पतालों में बढ़ रहे अस्थमा के मरीज.
बदलते मौसम में अस्थमा के मरीजों की बढ़ी समस्या.
अस्पतालों में बढ़ रहे अस्थमा के मरीज.


प्रदूषण से लंग्स प्रभावित


बलरामपुर अस्पताल के चेस्ट फिजीशियन आनंद कुमार गुप्ता बताते हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन का जो डाटा है और ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज का जो डाटा है. उसके अनुसार 16 लाख लोगों की मौत भारत में वायु प्रदूषण से होती है. वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव 2.5 माइक्रोन पार्टिकल दूसरा 10 माइक्रोन पार्टिकल के दुष्परिणामों से होती है और आप देखेंगे कि पूरे शरीर में कोई ऐसा अंग अछूता नहीं है जिसमें कोई भी नुकसान वायु प्रदूषण से न होता हो. सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण से लंग्स ही प्रभावित होता है. लंग्स में अस्थमा, टीबी, ब्रोंकाइटिस, फेफड़े का कैंसर है. इसके साथ-साथ बहुत सी ऐसी बीमारी हैं. अगर हम हार्ट की बात करें तो हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर है. अगर हम ब्रेन की बात करें तो ब्रेन स्ट्रोक यानी फालिज मार जाना है, माइग्रेन, नींद न आना और अगर हम दूसरे अंगों की बात करें तो एसिडिटी से लेकर और छोटी-छोटी समस्या जैसे बालों का जल्दी सफेद हो जाना यह सब वायु प्रदूषण से लिंक है.

यह भी पढ़ें : यूपी के सरकारी अस्पतालों में बने प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों में दवाएं नहीं, भटक रहे मरीज

Last Updated : Jul 3, 2023, 2:49 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details