लखनऊ: मेडिकल पाठ्यक्रमों में दाखिला के लिए देशभर में नीट का आयोजन किया गया. वहीं, वाराणसी में सॉल्वर गैंग का भंडाफोड़ हुआ. अब इसके तार केजीएमयू से जुड़ रहे हैं. वहीं, पुलिस का पत्र आते ही अब संस्थान प्रशासन भी तफ्तीश करेगा. इसमें छात्र को बाहर का रास्ता भी दिखाया जा सकता है.
वाराणसी में नीट में सेंधमारी का खुलासा पुलिस ने किया. इसमें केजीएमयू में एमबीबीएस अंतिम वर्ष के छात्र के मिलीभगत की भी आशंका है. वहीं, केजीएमयू प्रशासन का दावा है कि अभी पुलिस की तरफ से कोई पत्र नहीं आया है. प्रॉक्टर डॉ. क्षितिज कुमार के मुताबिक, केजीएमयू के छात्र का नाम सॉल्वर गैंग में होने की चर्चा है. अभी संस्थान को कोई लिखित पत्र नहीं आया है. पत्र आते ही मामले की जांच की जाएगी. अवैध काम में संलिप्त छात्र पर भी सख्त कार्रवाई की जाएगी.
केजीएमयू के एमबीबीएस अंतिम वर्ष (2016 बैच) के छात्र पर साल्वर गैंग से मिलीभगत होने के आरोप लगे हैं. जिस नाम के छात्र पर आरोप लगे हैं वह केजीएमयू के हॉस्टल में नहीं रहता है. छात्र गोमतीनगर इलाके में रहता है. यह एक विषय में फेल भी हुआ. केजीएमयू के छात्र सीपीएमटी से लेकर नीट तक में धांधली कर चुके हैं. मध्य प्रदेश की व्यापम परीक्षा में भी पकड़े गए थे. मेडिकल की परीक्षा में सेंधमारी के इल्जामात से इनका पुराना नाता है. यही नहीं केजीएमयू के कई शिक्षकों पर भी पैसे लेकर एमबीबीएस में दाखिला दिलाने के आरोप लग चुके हैं. शिकायत के आधार पर शिक्षकों की जांच और फिर कार्रवाई भी हो चुकी है.
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पुलिस ने जांच में पाया कि सॉल्वर बनी छात्रा और मूल अभ्यर्थी का चेहरा मिलता-जुलता था. गैंग ने इसी का फायदा उठाया और फोटोशॉप से एडमिट कार्ड के फोटो चेंज किए. पकड़ी न जाए इसलिए सैकड़ों बार मूल अभ्यर्थी के हस्ताक्षर का अभ्यास कराया गया. पुलिस ने पाया कि गैंग में केजीएमयू का एक डॉक्टर भी शामिल है. छात्रा के साथ उसकी मां भी गिरफ्तार की गई है. गैंग का मास्टर माइंड पटना का कोई PK बताया जा रहा है.