लखनऊ: केजएमयू प्रशासन ने रेसिडेंट डॉक्टरों के कार्य मुक्त होने पर रोक लगा दी है. कोरोना संक्रमण के दौरान सभी रेजीडेंट डॉक्टरों को सेवा विस्तार दिया गया है. यह सेवा विस्तार कितने समय के लिए किया गया है इसका जिक्र अभी नहीं किया गया है.
केजीएमयू में करीब चार हजार बेड हैं और तकरीबन एक हजार रेसिडेंट डॉक्टर हैं. इनमें एमडी, एमएस और डिप्लोमा के करीब 500 रेसिडेंट डॉक्टर होते हैं. कुछ नॉन पीजी डॉक्टर की तैनाती की जाती है इसके अलावा डीएम, एमसीएच पाठ्यक्रम दाखिला लेने वाले सीनियर रेजिडेंट होते हैं.
कोरोना संक्रमण के दौरान डॉक्टरों का संकट है. नीट पीजी 2020 के माध्यम से चयनित अभ्यर्थी अभी विभागों में कार्यभार ग्रहण नहीं कर पाए हैं. ऐसी दशा में 2017 के एमडी, एमएस और 2018 के डिप्लोमा पाठ्यक्रम बैच के जूनियर रेजिडेंट का कार्यकाल पूरा हो चुका है और कुछ का पूरा होने वाला है. ऐसे में रेसिडेंट डॉक्टरों को विभाग से कार्यमुक्त ना किए जाने के आदेश दिए गए हैं.
कुलपति डॉ. एमएलबी भट्ट के अनुमोदन के बाद कुलसचिव आशुतोष कुमार द्विवेदी ने भी सभी डॉक्टरों को सेवा विस्तार दिया गया है. इस दौरान डॉक्टरों को पहले का तरह 70 से 80 हजार प्रति माह वेतन मिलता रहेगा. कोरोना काल के दौरान किसी भी तरह की कोविड-19 की सेवाओं में रुकावट ना आने पाए इसको देखते हुए केजीएमयू ने यह कदम उठाया है. कोरोना काल के दौरान सभी स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर तरीके से केजीएमयू में लोगों को निर्बाध रूप से मिलती रहेंगी.