लखनऊ : राजधानी में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट और g20 समिट का आयोजन किया जा रहा है और इसको लेकर मेहमानों के स्वागत और शहर को सजाने के नाम पर 100 करोड़ रुपए से अधिक की बड़ी धनराशि खर्च की जा रही है. शहर में रंग रोगन से लेकर पेड़ पौधे और सजावटी लाइट लगाकर शहर को पूरी तरह सजाने का काम किया जा रहा है. सवाल यह है कि क्या हमेशा के लिए इस तरह की व्यवस्था नहीं की जा सकती. आयोजन होने के समय ही करोड़ों रुपए का बजट पानी की तरह बहा दिया जाता है. फ्लॉवर वाल और अन्य तरह की सजावट की जा रही है जो 15 दिन में खराब हो जाएगी.
दरअसल, राजधानी में 10 से 12 फरवरी तक ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया गया है और यह आयोजन वृंदावन योजना के डिफेंस एक्सपो स्थल में किया जाएगा, जबकि g20 समिट का आयोजन अंसल सिटी स्थित सेंट्रल होटल में किया जाएगा. ऐसे में दोनों आयोजनों को देखते हुए राजधानी लखनऊ को पूरी तरह से सजाया और संवारा जा रहा है. अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार, 120 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं. नगर निगम, लखनऊ विकास प्राधिकरण, पीडब्ल्यूडी, बिजली विभाग और एनएचएआई विभाग के स्तर पर सड़कों से लेकर नाली, खड़ंजा, पेड़-पौधे और सजावटी लाइट लगाने के काम किए जा रहे हैं और शहर को खूबसूरत बनाया जा रहा है.
एलईडी लाइट से पौधों को लगाकर सजाया जा रहा है. दीवारों को सजाया जा रहा है और छोटे-छोटे फ्लावर को प्लास्टिक के थैलों में रखते हुए फ्लावर वॉल बनाई जा रही है. तमाम लोग इन सब को लेकर सवाल भी खड़े कर रहे हैं कि जनता का पैसा पानी में बहाया जा रहा है. लोगों का कहना है कि 'पहले भी इस तरह के आयोजन किए गए थे और एलईडी लाइट अन्य सजावटी काम में करोड़ों रुपए खर्च किए गए थे, लेकिन एक बार फिर जब लखनऊ में दो बड़े आयोजन हो रहे हैं, 120 करोड़ रुपये तमाम तरह के सजावटी आयोजन में खर्च किए जा रहे हैं. ऐसे में सरकार को चाहिए कि हमेशा के लिए स्थाई व्यवस्था करते हुए शहर को क्यों नहीं सजाया जा सकता है. ऐसे में तमाम तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर यह सब पैसे की बर्बादी क्यों हो रही है.
भारतीय जनता पार्टी नेता दिलीप श्रीवास्तव कहते हैं कि 'अच्छा आयोजन हो रहा है. निवेश आएगा. यह सब अच्छी बात है, लेकिन जो पैसा सजावट के नाम पर खर्च किया जा रहा है, यह पूरी तरह से गलत है. पहले के आयोजनों में जो संसाधन लगाए गए थे उनके बारे में भी नगर निगम और अन्य विभागों को बताना चाहिए कि वह पैसा खर्च कर दिया गया था. संसाधन कहां चले गए. सजावट के नाम पर करोड़ों का खर्च करना मूर्खता है कि स्थाई व्यवस्था करते हुए हमेशा के लिए शहर को आखिर क्यों नहीं सजाया जा सकता है. नगर निगम के अधिकारियों के लिए यह भ्रष्टाचार करने का अवसर मिला है.'