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लखनऊ हाईकोर्ट ने सरकारी नौकरियों में महिलाओं को आयु सीमा में छूट देने पर मांगा जवाब

लखनऊ बेंच ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, सरकारी नौकरियों में महिलाओं को मिलने वाले आरक्षण में उम्र सम्बंधी छूट देने की व्यवस्था पर राज्य सरकार का पक्ष पूछा है. मामले की अगली सुनवाई 24 अक्टूबर को होगी.

लखनऊ हाईकोर्ट.

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Published : Sep 18, 2019, 3:17 AM IST

लखनऊ:हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकारी नौकरियों में महिलाओं को मिलने वाले आरक्षण में उम्र संबंधी छूट देने की व्यवस्था पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है. न्यायालय ने राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता को इस संबंध में सरकार से निर्देश प्राप्त कर कोर्ट को अवगत कराने के आदेश दिये हैं.


यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खंडपीठ ने मनीषा त्रिवेदी और एक अन्य की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर दिया. याची मनीषा त्रिवेदी ने बताया कि याचिका में महिला आरक्षण की सभी लाभार्थियों को उम्र सीमा में छूट देने की मांग की गई है. याचिका में इसे संवैधानिक अधिकार बताया गया है. याचिका में कहा गया है कि सामान्य वर्ग की महिला अभ्यर्थी उम्र सीमा में छूट के लाभ से वंचित रह जाती हैं, जबकि आरक्षित वर्ग की महिला अभ्यर्थियों को उम्र में छूट का लाभ मिल जाता है. न्यायालय ने याचिका पर निर्देश प्राप्त कर कोर्ट को अवगत कराने के आदेश सरकारी वकील को दिये. मामले की अगली सुनवाई 24 अक्टूबर को होगी.


हाईकोर्ट ने मांगी शहर को डेयरी और आवारा पशुओं से मुक्त करने की रिपोर्ट-
हाईकोर्ट ने लखनऊ शहरी क्षेत्र से डेयरियों को हटाने और आवारा पशुओं से शहर को मुक्त करने के लिए उठाए गए कदमों के संबंध में रिपोर्ट तलब की है. यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खंडपीठ ने स्थानीय अधिवक्ता राहुल श्रीवास्तव की जनहित याचिका पर दिया. याचिका में टंकी वाला पार्क, न्यू हैदराबाद कॉलोनी और शहर के अन्य इलाकों से डेयरियों को हटाने की मांग की गई है.


मंगलवार को याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने सफाई दी कि लखनऊ म्युनिसिपल क्षेत्र से डेयरियों को हटाने और आवारा पशुओं से मुक्त कराने के संबंध में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं. इस पर न्यायालय ने मामले की अग्रिम सुनवाई के लिए 18 अक्टूबर की तिथि नियत करते हुए, डेयरियों को हटाने और अवारा पशुओं से शहर को मुक्त करने के संबंध में पूर्ण रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया.

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डायट्स की दयनीय हालत पर हाईकोर्ट ने जताई घोर नाराजगी-
हाईकोर्ट ने डायट्स (डिस्ट्रिक्ट इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशनल ट्रेनिंग) के दयनीय हालत पर गहरी नाराजगी व्यक्त की है. न्यायालय ने इसकी अनुमोदित स्ट्रेंथ पूरी करने के लिए लिए तीन माह में कदम उठाने के आदेश दिये हैं. यह आदेश न्यायालय ने निदेशक, स्टेट काउंसिल एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग को दिये हैं. इसके साथ ही न्यायालय ने डायट्स में लेक्चरर की भर्ती के लिए वर्तमान में चल रही चयन प्रक्रिया को भी 30 अक्टूबर तक पूर्ण कर लेने को कहा है.


यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर व न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खंडपीठ ने रमा नंद सरोज की वर्ष 2016 में दाखिल एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. सुनवाई के दौरान न्यायालय ने याचिका में दिये तथ्यों का जिक्र करते हुए कहा कि जिलों में स्थापित डायट्स के 69 प्रतिशत लेक्चरर और सीनियर लेक्चरर के पद खाली पड़े हैं. न्यायालय ने कहा कि यह दयनीय हालत है.


न्यायालय ने इस पर गहरी नाराजगी व्यक्त की. न्यायालय ने निदेशक, स्टेट काउंसिल एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग को आदेश दिया कि वह डायट्स की अनुमोदित स्ट्रेंथ पूर्ण करने के लिए तीन महीने में कदम उठाएं. साथ ही न्यायालय ने वर्तमान में चल रही चयन प्रक्रिया को 30 अक्टूबर तक पूर्ण करने के आदेश उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग और राज्य सरकार को दिये. मामले की अग्रिम सुनवाई 19 दिसंबर को होगी.

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