लखनऊः एक दिव्यांग की हत्या के मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मुख्य अभियुक्त को कोई भी राहत देने से इंकार करते हुए, सत्र न्यायालय द्वारा करार दी गई उसकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा है. न्यायालय ने हत्या में प्रयुक्त हथियार की रिकवरी संदिग्ध होने और आर्म्स एक्ट में अभियुक्त के छूट जाने को दोषमुक्ति का आधार नहीं माना है. यह निर्णय न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति राजीव सिंह की खंडपीठ ने कैलाश की अपील को खारिज करते हुए पारित किया. हालांकि न्यायालय ने इसी मामले के तीन अन्य अभियुक्तों को हत्या के आरोप में सजा से मुक्त कर दिया है.
9 दिसम्बर 2006 को बकरी चराने के विवाद में कैलाश और उसके भाइयों पर दिव्यांग खुशीराम की हत्या का आरोप था. कैलाश ने कट्टे से मृतक की हत्या कारित की थी, जबकि उसके भाइयों बड़े लाल, मुन्ना लाल और सिपाही पर समान आशय से घटना में शामिल होने का आरोप था. कैलाश की ओर से दलील दी गई कि घटना के पश्चात पुलिस ने जो कट्टा बरामद किया था, उसकी बरामदगी को संदिग्ध पाते हुए, सत्र न्यायालय ने आर्म्स एक्ट के मुकदमे में कैलाश को बरी कर दिया था.