लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने भाजपा के एक विधायक का फर्जी लेटर पैड ट्विटर पर शेयर करने के मामले में आरोपी पत्रकार के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र को रद्द करने से इंकार कर दिया है. न्यायालय ने मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य सरकार को बदनाम करने और सांप्रदायिक आतंक उत्पन्न करने की मंशा थी. इससे राज्य की शांति और सद्भाव पर सीधा हमला है. यह आदेश न्यायमूर्ति शमीम अहमद की एकल पीठ ने मनीष पांडेय की याचिका को खारिज करते हुए पारित किया.
याची की ओर से दलील दी गई थी कि उसने अपने ट्विटर अकाउंट पर भाजपा विधायक देवमणि द्विवेदी का एक कथित पत्र साझा किया, जिसमें अपर मुख्य सचिव गृह से कुछ राजनीतिज्ञों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमों की जानकारी मांगी गई थी. मामले में पुलिस ने हजरतगंज थाने में 21 अगस्त 2020 को एफआईआर दर्ज की थी. जांच में पाया गया कि उक्त पत्र विधायक द्वारा जारी नहीं किया गया, बल्कि कूटरचित था.