लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आपराधिक मामलों के संबंध में एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए स्पष्ट किया है कि ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा में वृद्धि की मांग के लिए पीड़ित द्वारा अपील नहीं दाखिल की जा सकती. न्यायालय ने कहा कि पीड़ित द्वारा सजा में वृद्धि की मांग की अपील पोषणीय नहीं है. यह निर्णय न्यायमूर्ति मोहम्मद फैज आलम खान की एकल पीठ ने शिरीन की ओर से दाखिल अपील को खारिज करते हुए पारित किया.
अपीलार्थी का कहना था कि उसके द्वारा दर्ज कराए गए आईपीसी की धारा 323, 498-ए, 506 व धारा 3/4 दहेज निषेध अधिनियम के मामले में ट्रायल कोर्ट ने अभियुक्तों को दोषी करार दिया. लेकिन कम सजा देते हुए उन्हें अपराधी परिवीक्षा अधिनियम का लाभ दे दिया. परिवीक्षा अधिनियम का लाभ देने की वजह से दोषियों को सजा काटने के लिए जेल नहीं जाना पड़ा, बल्कि उन्हें रिहा कर दिया गया. अपीलार्थी ने दोषियों को सुनाई गई सजा में वृद्धि की मांग की.