लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि एफआईआर दर्ज कराने की मांग को लेकर सीधे हाईकोर्ट में रिट याचिका नहीं दाखिल की जा सकती है. न्यायालय ने कहा कि पुलिस द्वारा संज्ञेय अपराध की शिकायत न दर्ज करने पर भी पीड़ित व्यक्ति के पास मजिस्ट्रेट के समक्ष जाने का विकल्प है. ऐसे में वैकल्पिक उपाय मौजूद होने की स्थिति में हाईकोर्ट से परमादेश जारी करने की मांग करना विधिपूर्ण नहीं है. यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति चन्द्रधारी सिंह की खंडपीठ ने वसीम हैदर की याचिका पर दिया है.
क्या था मामला
दाखिल याचिका में कहा गया था कि अंबेडकर नगर में फर्जी तरीके से कुछ जमीनों का बैनामा कर दिया गया. याची ने इसकी शिकायत स्थानीय थाने पर की तो वहां एफआईआर दर्ज नहीं की गई. उसने पुलिस अधीक्षक और पुलिस महानिदेशक को भी प्रार्थना पत्र भेजा, लेकिन वहां भी उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई.