लखनऊः अवैध शराब के एक मामले में दाखिल जमानत अर्जियों पर सुनवाई के दौरान एक अजीबोगरीब बात सामने आई. अभियुक्तों की ओर से जिला जज की कोर्ट में बताया गया कि एसटीएफ ने उनके दो ट्रकों से 50 पेटी शराब लूट ली. जब इसका एक ट्रक के ड्राइवर और क्लीनर ने विरोध किया तो दोनों को बुरी तरह से मारा गया. इससे क्लीनर मिलकित सिंह की मृत्यु हो गई.
कोर्ट ने की टिप्पणी
आरोप है कि एसटीएफ ने क्लीनर के शव को ड्राइवर गुरमीत सिंह के हाथों ही उसके घर भिजवा दिया था. वहीं दूसरे ट्रक के ड्राइवर और क्लीनर के खिलाफ फर्जी मुकदमा भी कायम कर दिया. कोर्ट ने दस्तावेजों पर गौर करने, सरोजिनी नगर थाने की रिपोर्ट और बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद टिप्पणी की कि 'यदि इसमें जरा भी सच्चाई है तो यह जंगल राज चल रहा है, इससे सख्ती से निपटने की आवश्यकता है.'
जमानत अर्जी मंजूर
जिला जज दिनेश कुमार शर्मा तृतीय ने यह टिप्पणी नरेंद्र सिंह और गोविंद कुमार के जमानत प्रार्थना पत्र को मंजूर करते हुए, अपने आदेश में की. अभियोजन के मुताबिक, दो ट्रकों में अवैध शराब ले जाई जा रही थी. एसटीएफ ने इन्हें सरोजिनी नगर थानांतर्गत पकड़ा और 2350 पेटी अवैध शराब बरामद किया. मामले की एफआईआर आईपीसी की धारा 467, 468 और 471 धारा 60 आबकारी अधिनियम के तहत एसटीएफ की ओर से सब-इंस्पेक्टर करुणेश कुमार पांडेय ने 12 नवम्बर 2020 को दर्ज कराई. दूसरे ट्रक के ड्राइवर और क्लीनर नरेंद्र सिंह और गोविंद कुमार को गिरफ्तार भी कर लिया गया.
बचाव पक्ष ने प्रस्तुत किए कागजात
वहीं बचाव पक्ष ने मेसर्स काला अम्ब डिस्टलरी के निदेशक सुनील कुमार ने अदालत में शपथ पत्र दाखिल कर बताया कि बरामद की गई शराब का उत्पादन सलोन, हिमाचल प्रदेश स्थित उनकी डिस्टलरी में किया गया था. सभी वैध दस्तावेजों के साथ इसे अरुणाचल प्रदेश भेजा जा रहा था. इस कथन के समर्थन में बचाव पक्ष की ओर से विभिन्न सरकारी और कम्पनी द्वारा निर्गत दस्तावेज प्रस्तुत किये गए. कोर्ट ने उक्त दस्तावेजों के सम्बंध में पुलिस से रिपोर्ट तलब की, जिस पर सरोजिनी नगर पुलिस ने 10 दिसम्बर 2020 को रिपोर्ट दाखिल करते हुए माना कि बचाव पक्ष द्वारा पेश किये गए दस्तावेज सही हैं. इसके बाद अदालत ने अभियुक्तों के जमानत प्रार्थना पत्र को मंजूर कर लिया.
अदालत ने दिये जांच के आदेश
अदालत ने आदेश के अंत में अपनी टिप्पणी में कहा कि हम यह कहने के लिए विवश हैं कि 'यदि बचाव पक्ष द्वारा कही गई बातों में जरा भी सच्चाई है तो यह जंगल राज है, जिससे सख्ती से निपटने की आवश्यकता है.' न्यायालय ने उक्त टिप्पणी के साथ ही आदेश की प्रति मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव गृह और पुलिस आयुक्त लखनऊ को भेजने के निर्देश देते हुए कहा है कि इस मामले की जांच करवाई जाए और जांच के परिणामों से इस अदालत को अवगत कराया जाए.