लखनऊः विकास प्राधिकरणों में विस्तारित क्षेत्र के भूमि एवं भवनों का पुराना उपयोग जारी रखने के लिए शासन की ओर से मॉडल उपविधि 2021 जारी की गई है. इसके अंतर्गत महायोजना 2031 के अंतर्गत आने वाले नए क्षेत्रों में पहले से बने भवनों को वैध कराया जा सकेगा. इसके लिए भू-खंड अथवा भवन स्वामी को संबंधित विकास प्राधिकरण में आवेदन देकर प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा. इस प्रमाण पत्र के प्राप्त होने के बाद भू-खंड एवं भवन का पहले से हो रहा उपयोग महायोजना लागू होने के बाद भी जारी रखा जा सकेगा. हालांकि इसके लिए निर्धारित शुल्क जमा करना होगा. अपर मुख्य सचिव आवास दीपक कुमार की ओर से सभी विकास प्राधिकरणों को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया गया है.
जारी किए गए शासनादेश के अनुसार विकास प्राधिकरणों में योजना के उल्लघंन में भूमि और भवनों का उपयोग जारी रखने के लिए यह मॉडल उपविधि-2021 जारी की गई है. प्रदेश में लगभग 59 महायोजना बन रही हैं. शासन की ओर से जारी दिशा-निदेर्शों के तहत महायोजना में भू-खंडों का भू उपयोग भी निर्धारित होगा. बड़ी संख्या में लोग भूखंड या भवन का आवासीय के अलावा दूसरे रूप में उपयोग कर रहे हैं. ऐसे में महायोजना जारी होने से पहले भू उपयोग को जारी रखने का अनुमति लेनी जरूरी होगी. तय अवधि के बाद ऐसे निर्माणों को अवैध माना जाएगा. इसे इस तरह समझें कि किसी भू-खंड पर स्कूल, सिनेमा, मल्टीप्लेक्स, औद्योगिक इकाई या अन्य व्यावसायिक उपयोग होने पर महायोजना में निर्धारित भू उपयोग के विपरीत माना जाएगा. ऐसी स्थिति में पहले से हो रहे भू उपयोग का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा. इसी तरह आवासीय भवन के व्यावसायिक होने पर प्राधिकरण कार्रवाई कर सकता है. इस उपविधि को लागू करने से पहले विकास प्राधिकरणों को अपने बोर्ड में शासनादेश को अंगीकृत करना होगा. इसके बाद आवेदन मांगे जाएंगे.
इस योजना के तहत भवन या भूमि को नियमित कराने के बाद उसके आंतरिक प्रारूप में बदलाव किया जा सकेगा, लेकिन बाहरी डिजाइन में बदलाव नहीं कर सकेंगे. भवन को ध्वस्त कर नया निर्माण कराने पर प्राधिकरण से मानचित्र पास कराना होगा. ग्रीन बेल्ट (पार्क, खुले स्थल) के अंतर्गत यदि पुराने उपयोग को अनुमति दी जाएगी तो उस जमीन के बराबर क्षेत्रफल को महायोजना में आरक्षित किया जाएगा.