लखनऊ :योगी आदित्यनाथ की सरकार में पिछले करीब छह साल में लखनऊ विकास प्राधिकरण में आठ बाबू बर्खास्त किए जा चुके हैं. सभी पर करप्शन का आरोप लगाया गया और जांच में यह बात सच मानी गई. इन सारे मामलों में खास बात यह है कि कोई अफसर नहीं फंसा है. इससे यह साबित होता है कि अफसरों को बचाने में उच्च स्तर से कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है.
योगी सरकार में लखनऊ विकास प्राधिकरण के आठ बाबू बर्खास्त, किसी अफसर पर नहीं आई आंच - एलडीए उपाध्यक्ष डॉ इंद्रमणि त्रिपाठी का एक्शन
लखनऊ विकास प्राधिकरण में भ्रष्टाचार आम बात है. भूखंडों की फर्जी रजिस्ट्री, अपात्रों को अलाटमेंट, कूटरचित दस्तावेजों के सहारे संपत्तियों का नामांतरण समेत दर्जनों कारनामे यहां के बाबू और अफसर मिलकर अंजाम देते हैं. इसमें बुनियादी यह है कि इस कारनामों में शामिल बाबूओं तो फंसे, लेकिन अफसर कोई नहीं फंसा.
विकास प्राधिकरण की बेशकीमती सम्पत्तियों की फर्जी रजिस्ट्री करने वाले निलंबित कनिष्ठ लिपिक पवन कुमार को बर्खास्त कर दिया गया है. आरोपी बाबू के खिलाफ विभागीय जांच में आरोप सही पाए जाने पर प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डाॅ. इन्द्रमणि त्रिपाठी ने उसकी बर्खास्तगी के आदेश जारी कर दिए. अपर सचिव ज्ञानेन्द्र वर्मा ने बताया कि कनिष्ठ लिपिक पवन कुमार को प्राधिकरण की गोमतीनगर एवं गोमतीनगर विस्तार योजना तथा कैलाश कुंज योजना आदि की सम्पत्तियों के निबंधन का कार्य सौंपा गया था. इस दौरान पवन कुमार द्वारा बाहरी व्यक्तियों के साथ मिलीभगत करते हुए विनम्रखंड, वास्तुखंड, विकल्पखंड, विराजखंड, विभूतिखंड तथा विनीतखंड के बेशकीमती भवन औऱ भूखंडों की फर्जी रजिस्ट्री कराई. इसके लिए पवन कुमार ने इन सम्पत्तियों की मूल पत्रावलियों को कार्यालय से गायब कर दिया तथा रजिस्ट्री के कूटरचित दस्तावेजों पर प्राधिकरण के अधिकारियों/कर्मचारियों के जाली हस्ताक्षर बनाए. पवन कुमार द्वारा रजिस्ट्री के दौरान उपनिबंधक सदर-द्वितीय कार्यालय में पहचान कर्ता-द्वितीय के रूप में अपना नाम पंजीकृत कराया गया.
भ्रष्टाचार के मामले में पिछले पांच साल में लखनऊ विकास प्राधिकरण में आठ बाबू की नौकरी जा चुकी है. एक ने नौकरी छोड़ दी है, जबकि 20 से ज्यादा निलंबित हुए हैं. अभी कुछ और कर्मचारी भी नौकरी से जाएंगे. इसके बावजूद लखनऊ विकास प्राधिकरण की गड़बड़ियों में कमी नहीं आ रही है. बर्खास्त किए जाने वाले बाबू में काशीनाथ, मुक्तेश्वर ओझा, मुसाफिर सिंह और अजय कुमार वर्मा शामिल है. इन चारों बर्खास्त हुए बाबू पर आरोप है कि उन्होंने करोड़ों रुपये की अवैध संपत्ति एलडीए में हेराफेरी करके अर्जित की. सबसे ज्यादा गंभीर आरोप तो मुसाफिर सिंह पर लगा है. मुसाफिर सिंह ने जिस व्यक्ति से जालसाजी की उसने ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या तक कर ली. मुक्तेश्वर नाथ ओझा बर्खास्त होने के बाद दिवंगत हो चुके हैं. लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि हम ऐसे एक्शन लेते रहेंगे. कोई भी भ्रष्टाचार करने वाला लखनऊ विकास प्राधिकरण में नहीं बचेगा.
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