लखनऊ: राजधानी को विकसित करने का जिम्मा जिस संस्था पर है उसी लखनऊ विकास प्राधिकरण (lucknow development authority) परआवंटियों को धोखा देने का आरोप लगा है. यह आरोपलखनऊ जन कल्याण महासमिति (Lucknow Jan Kalyan Mahasamiti) के अध्यक्ष उमाशंकर दुबे ने लगाया है. प्राधिकरण उपाध्यक्ष को दिए गए ज्ञापन में उन्होंने कहा है कि एक सरकारी संस्था का यह आचरण दुर्भाग्यपूर्ण है. एलडीए के अधिकारी अपने ही दिए गए वादे से मुकर रहे हैं. महासमिति ने प्राधिकरण को 15 अगस्त तक कार्पस फंड वापस करने के लिए चेतावनी दी है.
जुलाई में ही अनुरक्षण शुल्क वापसी का था वादा
उमाशंकर दुबे ने बताया कि एलडीए के विभिन्न फ्लैटों के मद में जमा कार्पस फण्ड एवं अवशेष अनुरक्षण शुल्क को आरडब्ल्यूए को हस्तांतरित किये जाने के सम्बन्ध में प्रमुख सचिव, आवास एवं शहरी नियोजन विभाग की अध्यक्षता में 9 जुलाई को बैठक हुई थी. इस बैठक में प्रमुख सचिव के सामने एलडीए के अधिकारियों ने लखनऊ जनकल्याण महासमिति से वायदा किया था कि माह जुलाई के अन्दर ही समस्त आरडब्ल्यूए को कार्पस फण्ड की धनराशि एफडी. के रूप में हस्तांतरित कर दी जाएगी. साथ ही रख-रखाव का पैसा आरडब्ल्यूए के बैंक खाते में भेज दिया जाएगा.
प्राधिकरण उपाध्यक्ष को दी गई थी जानकारी
लखनऊ जन कल्याण महासमिति के अध्यक्ष उमाशंकर दुबे ने बताया कि 26 जुलाई को जब प्राधिकरण उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी ने कार्यभार ग्रहण किया तो उन्होंने आरडब्ल्यूए के कार्पस और मेंटिनेंस शुल्क वापस करने के संबंध में अधीनस्थों को निर्देश दिया था, जिस संबंध में समिति का गठन भी किया गया था. इस कमेटी में लखनऊ विकास प्राधिकरण के वित्त नियंत्रक, मुख्य अभियन्ता, सम्बन्धित जोन अधिशासी अभियन्ता, सम्बन्धित प्रभारी अधिकारी सम्पत्ति/सम्पत्ति अधिकारी और प्रभारी अधिकारी-विज्ञापन को रखा गया था. कमेटी को 3 दिन में रिपोर्ट प्रस्तुत करना था.