लखनऊ: राजधानी में बुधवार देर रात पीडब्ल्यूडी मुख्यालय में तैनात जूनियर क्लर्क की मौत की गुत्थी उलझती जा रही है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत की वजह हार्ट अटैक नहीं बतायी गई है. इसमें मौत की वजह अब तक साफ नहीं हो पायी है. वहीं, दूसरी ओर बताया जा रहा है कि, क्लर्क विपिन सिंह पिछले कई दिनों से कोर्ट में दाखिल करने के लिए विभागीय जवाब तैयार कर रहा था. इसे गुरुवार को कोर्ट में पेश करना था. कोर्ट में विपिन ने दाखिल किये जाने वाले इस जवाब पर फर्जीवाड़ा कर प्रमोट हुए 103 जेई का भविष्य निर्भर कर रहा था. फिलहाल पुलिस और विभागीय एसआईटी इस मामले की जांच कर रही है.
फर्जीवाड़ा कर प्रमोट हुए 103 जेई के खिलाफ काउंटर बना रहा था विपिन
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, मूलरूप से प्रतापगढ़ के रहने वाले विपिन सिंह बीते कुछ दिनों से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अखिलेश सरकार में प्रमोट हुए 106 जेई में 103 जेई के पदावनित के आदेश पर कोर्ट स्टे के खिलाफ काउंटर तैयार कर रहे थे. बुधवार को विपिन ने काउंटर तैयार कर सभी अधिकारियों के हस्ताक्षर के बाद प्रमुख अभियंता का हस्ताक्षर लिया था. विपिन पिछले कई दिनों से इस जवाब को तैयार करने को लेकर परेशान थे. गुरुवार को विभाग की ओर से हाई कोर्ट ने लगाए गए स्टे को खारिज करवाने के लिए काउंटर जवाब कोर्ट में दाखिल होना था. कहा जा रहा है कि विभाग का काउंटर दाखिल होने के बाद कोर्ट स्टे को खारिज कर सकती है, इससे 103 जेई पदावनित होकर फिर से वापस बाबू बन जाएंगे. यही नही जेई के पद पर रहते हुए लिए गए वेतन की वसूली भी की जा सकती थी.
हार्ट अटैक से नही हुई PWD क्लर्क की मौत
विपिन सिंह की मौत के वक़्त वहीं मौजूद रहने वाले पीडब्ल्यूडी कर्मी ने पुलिस को बताया था कि विपिन की अचानक तबियत खराब हो गई थी और गश खाकर गिर गए. बाद में उनकी मौत हो गयी. आशंका जताई गई कि विपिन को हार्ट अटैक पड़ा था. जिस कारण उसकी मौत हो गयी. हालांकि, विपिन सिंह की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत की वजह साफ नही हो सकी है. डॉक्टर के मुताबिक, विपिन की मौत हार्ट अटैक से नही हुई है. पीएम में मौत की वजह का पता नही चल सका है. उनके मुताबिक, विपिन की आंतों में पड़ा खाना काला पड़ चुका था. इसे देखते हुए विसरा सुरक्षित रख लिया. इसे जांच के लिए भेजा जाएगा. जांच रिपोर्ट आने के बाद ही यह कहा जा सकेगा कि, विपिन की मौत कैसी हुई.
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लखनऊ: विभागीय फर्जीवाड़ा तो नहीं बना PWD क्लर्क के मौत की वजह
पीडब्ल्यूडी मुख्यालय में तैनात जूनियर क्लर्क की बुधवार को मौत हो गयी थी. हजरतगंज पुलिस ने मौके से मिली पानी और अन्य बोतल को फोरेंसिक टीम को भेजी थी. क्लर्क की मौत को 106 जेई प्रमोशन फर्जीवाड़ा से जोड़ा जा रहा है. पुलिस सभी एंगल से जांच कर रही है.
हर बिंदुओं पर पुलिस कर रही है जांच
हजरतगंज इंस्पेक्टर अखिलेश मिश्रा के मुताबिक, विपिन मिश्रा की पत्नी सपना ने एक शिकायती पत्र दिया है और हर पहलुओं में जांच करने का अनुरोध किया गया है. पुलिस भी सभी बिंदुओं पर जांच कर रही है. इंस्पेक्टर के मुताबिक, पीडब्ल्यूडी मुख्यालय में लगे सभी सीसीटीवी कैमरों के फुटेज की जांच रही है. साथ ही मौके से मिली पानी और अन्य बोतल को फोरेंसिक भेजा गया है.
क्या था 106 जेई प्रमोशन फर्जीवाड़ा?
साल 2013 में अखिलेश सरकार के दौरान समूह ग संवर्ग के 122 लिपिकों को प्रमोशन देकर जेई बनाया गया था. प्रमोशन नियमावली के तहत जेई के 95% पदों को आयोग के माध्यम से सीधी भर्ती के जरिए भरा जाना था, बाकी 5 % पदों पर विभागीय प्रोन्नति दी जानी थी.लेकिन, तमाम लोगों ने फर्जी डिप्लोमा के आधार पर प्रमोशन पा लिया. इस मामले की शिकायत हुई तो शासन ने कमेटी बना कर जांच करवाई और शैक्षिक दस्तावेजों पर UGC से राय मांगी. जिस पर पता लगा कि दूरस्थ शिक्षा केंद्रों के माध्यम से ली गई इंजीनियरिंग की डिग्री या डिप्लोमा मान्य ही नहीं है. इसके बाद ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) और डिस्टेंस एजुकेशन ब्यूरो (डीईबी) ने भी दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से लिए गए डिप्लोमा अमान्य करार दे दिए. बावजूद इसके उस वक्त कोई भी कार्रवाई नहीं की गई. योगी सरकार की सख्ती के बाद शासन ने बीती 29 अप्रैल को इन्हें पदावनत कर दिया. इसके विरुद्ध हाई कोर्ट में 44 याचिकाएं दाखिल की गईं. लेकिन विभाग ने कोर्ट में ठीक से पैरवी नहीं की थी, जिस कारण कोर्ट ने पदावनित के आदेश पर स्टे लगा दिया था. इसके बाद विभागाध्यक्ष ने सख्ती दिखाई और हीलाहवाली करने वालो पर कार्रवाई करने की बात कहीं तो कोर्ट में काउंटर दाखिल करने पर जोर दिया गया. इसी काउंटर को मृतक जूनियर क्लर्क विपिन सिंह तैयार कर रहे थे.
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