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व्यापारी से 38 लाख रुपये हड़पने वाले नाइजीरियन समेत चार जालसाज गिरफ्तार - crime in lucknow

राजधनी लखनऊ की साइबर क्राइम सेल ने महाराष्ट्र के पालघर से नाइजीरियन समेत 4 जालसाजों को गिरफ्तार किया है. इन आरोपियों ने पूर्व सूचना आयुक्त अरविंद सिंह विष्ट की कंपनी से 38 लाख रुपये की धोखाधड़ी की थी.

चार जालसाज गिरफ्तार
चार जालसाज गिरफ्तार

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Published : Aug 21, 2021, 9:59 PM IST

लखनऊ:राजधानी की सायबर क्राइम सेल की टीम ने एक नाइजीरियन समेत चार जालसाजों को गिरफ्तार किया है. इन जालसाजों की गिरफ्तारी पालघर महाराष्ट्र से की गई है, जिनको शनिवार की रात लखनऊ लाया गया. आरोपियों को गौतमपल्ली थाना में रखा गया है. इन आरोपियों के पास से एक-एक लीटर के बारह गैलन लिंगो लिक्विड ऑयल, उषा ब्रांड, एक स्विफ्ट कार व दो मोबाइल फोन बरामद हुआ है. पुलिस ने गौतमपल्ली थाना में दर्ज हुए सायबर क्राइम मामले में इन जालसाजों को गिरफ्तार किया गया है.

सायबर क्राइम प्रभारी मथुरा राय ने बताया कि पकड़े गए आरोपियों की पहचान महेश महादेव पवार, चेतन पांडुरंग तोरस्कार, विक्रांत मंगेश सिरोडेकर व नाइजीरियन जॉन उर्फ पैट्रिक उर्फ ओजु ई फाइनल माइकल के रूप में हुई है. उन्होंने बताया कि इन आरोपियों के खिलाफ शेखर इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड के चेयरमैन ने गौतमपल्ली में मुकदमा दर्ज कराया था. शिकायतकर्ता से आरोपियों ने लिक्विड ऑयल का वयापार कराने के नाम पर धोखाधड़ी कर अपने खाते में 38 लाख रुपये ट्रांसफर करा लिया था, लेकिन माल नहीं भेजा. इसके बाद ही इन लोगों ने अपना मोबाइल नम्बर भी बंद कर दिया था.

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सायबर सेल इंस्पेक्टर की मानें तो आरोपियों ने पूछताछ के दौरान जलसाजी करने का तरीका भी बताया है. आरोपियों ने बताया कि वह लोग फर्जी कंपनियों के एजेंट बनकर ग्राहकों (थोक/फुटकर विक्रेताओं) से फेसबुक/ईमेल व फोन के जरिये संपर्क करते थे. ग्राहक को ज्यादा लाभ देने का प्रलोभन देने व विश्वास दिलाने के लिए पहले एक कंपनी का एजेंट बनकर ग्राहक को सस्ते दाम पर प्रोडक्ट बेच देते थे. इसके बाद दूसरी कंपनी का एजेंट बनकर उसी प्रोडक्ट को खुद ही मंहंगे दाम पर खरीद लिया करते थे. ग्राहक पहली ही डील में मुनाफा देखकर उनपर विश्वास कर लेता था. उसके बाद ही ग्राहक अधिक मात्रा में प्रोडक्ट खरीदने की मांग करता है. जिसके बाद ही इन आरोपियों द्वारा ग्राहक से अपने बैंक खाते में लाखों रुपया ट्रांसफर करा लेते थे. इसके बाद ही ग्राहक को डुप्लीकेट माल भेजकर अपना मोबाइल नंबर बंद कर देते थे.

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