लखनऊ :राजधानी में बीते बुधवार की ही तरह सेक्स रैकेट तो कई बार पकड़े गए हैं और इसमें पुलिस की ओर से चार्जशीट भी दाखिल की जाती हैं. बावजूद इसके पुलिस आरोपियों को सजा दिलाने में नाकाम साबित होती है. कोर्ट में ऐसे लोगों के खिलाफ पुख्ता सबूत प्रस्तुत न कर पाने के चलते यह गंदा काम कराने वाले सजा से दूर ही रहते हैं.
Prostitution in Lucknow : सजा से क्यों बच जाते हैं सेक्स रैकेट संचालक, जानिए पुलिस का जवाब
राजधानी पुलिस देह व्यापार, वेश्यावृत्ति से जुड़े रैकेट व सेंटर के खिलाफ (Prostitution in Lucknow) कार्रवाई तो करती है, लेकिन पुलिस के कुछ कमजोर पक्ष के कारण इस शर्मनाक धंधे में संलिप्त लोगों को सजा नहीं दिला पाती है.
देह व्यापार अधिनियम :अनैतिक कामों के लिए स्त्री, पुरुष या बच्चों की खरीद व बिक्री करना इम्मोरल ट्रैफिकिंग की श्रेणी में आता है. ऐसा करना अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम, 1956 के अनुसार दंडनीय अपराध है. अनैतिक देह व्यापार से पीड़ित (स्त्री, पुरुष व बच्चे)। वह संरक्षण, सुधार और पुनर्वास के अधिकारी हैं. भारतीय दंड संहिता की धारा 372 के अनुसार जो भी कोई किसी नाबालिग (18 वर्ष से कम आयु के) व्यक्ति को इस आशय से कि वह व्यक्ति किसी भी आयु में वेश्यावृत्ति या किसी व्यक्ति से अवैध संभोग करने के लिए या किसी विधि विरुद्ध और दुराचारिक प्रयोजन के काम में लाया या उपयोग किया जाए या यह सम्भाव्य जानते हुए कि ऐसा व्यक्ति किसी भी आयु में ऐसे किसी प्रयोजन के काम में लाया या उपयोग किया जाएगा, बेचना, भाड़े पर देना या अन्यथा व्ययनित करना कारित करेगा तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे 10 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है से दंडित किया जाएगा और साथ ही वह आर्थिक दंड के लिए भी उत्तरदायी होगा.
ब्रॉथल चलाने पर कार्रवाई :इम्मोरल ट्रैफिक एक्ट 1956 के सेक्शन 3 के मुताबिक चकलाघर, वेश्यालय या ब्रॉथल चलना अपराध है. इसकी परिभाषा में हर वह घर, कमरा या जगह आता है जिसका इस्तेमाल वेश्यावृत्ति के लिए किया जाता है. सेक्शन 4 के मुताबिक किसी का वेश्या की कमाई पर जिंदगी बसर करना भी अपराध है.
कमजोर पक्ष : देह व्यापार या वेश्यावृत्ति से जुड़े रैकेट व सेंटर के खिलाफ लिखित शिकायतें कम होती हैं. मौखिक शिकायतों के आधार पर पुलिस एक्शन नहीं लेती. इंडिया में पोर्न साइट पूरी तरह बैन हैं. हालांकि इंटरनेट पर पोर्न साइट के साथ ऑनलाइन सेक्स, मसाज पार्लर व अन्य संबंधित साइट उपलब्ध हैं. इसी ऑनलाइन सेक्स कारोबार की आड़ में ठग भी सक्रिय हैं और सेक्स का कारोबार भी खुलेआम चल रहा है.
डीसीपी अपर्णा रजत कौशिक कहती हैं कि देह व्यापार करने की जब भी सूचना मिलती है तो पुलिस टीम छापेमारी कर ऐसे लोगों की गिरफ्तारी करती है जो उसमें लिप्त होते है. अगर उसमें नाबालिग लड़के लड़कियां होती हैं तो उन्हें सुधार कार्यक्रम से तहत लाकर उन्हें व्यवस्थापित करते हैं. यह एक स्पेशल एक्ट है, जिसके तहत हम लोग देह व्यापार करने वालों पर कार्रवाई करते हैं. ऐसे में कोर्ट की प्रक्रिया के तहत हम सभी सबूत और तथ्य प्रस्तुत करते हैं, जिससे कोर्ट को प्रक्रिया चलती रहे. सीनियर लॉयर प्रमोद गुप्ता कहते हैं कि अगर देह व्यापार करने वाली युवतियां दोषी पाई जाती हैं तो अधिकतम 6 महीने की सजा का प्रावधान है. कई बार कॉल गर्ल्स अपराध स्वीकार कर लेती हैं और उन्हें प्रोबेशन पर छोड़ दिया जाता है. उनके मुताबिक ये कहना गलत नहीं होगा कि पुलिस का अनैतिक देह व्यापार करने वालों के खिलाफ कोर्ट में अभियोजन पक्ष मजबूत नहीं रहता है. यही नहीं पुलिस इस पर ध्यान भी नहीं देती है. इसके चलते केस लंबे चलते हैं और आरोपी आसानी से ये बाहर आ जाते हैं.
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