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लखनऊ कोर्ट ने मासूम से दुराचार और हत्या में सुनाई फांसी की सजा, 4 महीने में सुनाया फैसला

लखनऊ कोर्ट की विशेष अदालत ने छह साल की मासूम बच्ची के साथ दुराचार और उसकी नृशंस हत्या करने के अभियुक्त बबलू उर्फ अरफात को फांसी की सजा सुनाई है. साथ ही उस पर 40 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. कोर्ट ने चार महीने में फैसला सुनाया है.

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लखनऊ कोर्ट.

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Published : Jan 17, 2020, 9:51 PM IST

लखनऊ:पॉक्सो की विशेष अदालत ने छह साल की मासूम बच्ची के साथ दुराचार और उसकी नृशंस हत्या करने के अभियुक्त बबलू उर्फ अरफात को फांसी की सजा सुनाई है. कोर्ट ने अभियुक्त पर 40 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. कोर्ट ने कहा है कि बबलू उर्फ अरफात को फांसी पर तब तक लटकाया जाए, जब तक कि उसकी मृत्यु न हो जाए. कोर्ट ने उसके दुर्लभतम से दुर्लभ करार देते हुए, मृत्यु की सजा की पुष्टि के लिए मामले की समस्त पत्रावली अविलम्ब हाईकोर्ट को भेजने का आदेश दिया है.

उक्त निर्णय पारित करते हुए, पॉक्सो कोर्ट के विशेष न्यायाधीश अरविंद मिश्रा ने अपने 67 पृष्ठों के फैसले में बच्ची के चोटों का जिक्र करते हुए कहा है कि अभियुक्त बबलू उर्फ अरफात ने बेहद ही घृणित व नृशंस अपराध किया है. घटना में बच्ची के दोनों प्राइवेट पार्ट में तीन गम्भीर और काफी गहरी चोटें पाई गईं. इसके अलावा बच्ची के शरीर पर छह अन्य चोटें भी पाई गईं.

अभियुक्त टॉफी दिलाने के बहाने बच्ची को ले गया साथ
अभियुक्त बच्ची को टॉफी दिलाने के बहाने बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गया और उसके साथ निर्दयतापूर्वक दुष्कर्म किया. फिर अपने इस घृणित अपराध को छिपाने के लिए पहले चाकू से गला रेतकर मारने का प्रयास किया, लेकिन जब अबोध व असहाय बच्ची की मृत्यु नहीं हुई, तो उसने गला दबाकर उसकी हत्या कर दी.

अभियुक्त अत्यधिक क्रूर व निर्दयी
कोर्ट ने विशेष तौर पर उद्धत किया कि अभियुक्त ने यह अपराध तब किया, जबकि बच्ची उसे मामू कहती थी. कोर्ट ने आगे कहा कि उसका कृत्य अत्यधिक क्रूर व निर्दयी प्रकृति का था. उसने अत्यंत सुनियोजित तरीके से घटना को अंजाम दिया. छह साल की मासूम बच्ची इस स्थिति में नहीं थी कि वह उसका प्रतिरोध कर सकती. अभियुक्त की इस निर्दयता ने बच्ची को ठीक ढंग से दुनिया भी नहीं देखने दिया और न ही वह अपना प्राकृतिक जीवन ही जी सकी.

ऐसी घटनाएं बच्चों के सर्वागींण विकास के लिए नकारात्मक
कोर्ट ने कहा है कि जिस तरह का अपराध अभियुक्त ने किया है. उसकी सभ्य समाज में कल्पना भी नहीं की जा सकती है. यदि इस अपराध के लिए उसे मृत्यु से कम दंड दिया गया तो इसका समाज पर व्यापक रूप से गलत प्रभाव पड़ेगा. ऐसी घटनाओं की वजह से समाज में लोग अपने छोटे-छोटे बच्चों को स्वतंत्रतापूर्वक खेलने व व्यवहार करने की आजादी देने से डरने लगे हैं. यह देश के छोटे-छोटे बच्चों के सर्वागींण विकास के लिए भी नकारात्मक है. वे खुलकर अपना बचपन भी नहीं बीता पा रहे हैं.

4 महीने बाद ही दोषी को मिली सजा
15 सितंबर 2019 को इस नृशंस घटना की एफआईआर मृतका के पिता ने थाना सआदतगंज में दर्ज कराई थी. कहा गया कि शाम 5 बजे से उसकी बच्ची नहीं मिल रही है. वो घर आकर बच्ची को ढूढंने लगा. मालूम हुआ कि बच्ची को आखिरी दफा बबलू के साथ देखा गया था. वो पुलिस के साथ बबलू के घर गया, तो उसके घर पर बिस्तर के नीचे बच्ची का गला रेता हुआ शव बरामद हुआ. विवेचना में अभियुक्त बबलू द्वारा बच्ची के साथ दुष्कर्म व हत्या की पुष्टि हुई.

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विभिन्न धाराओं में सुनाई गई सजा
कोर्ट ने अभियुक्त बबलू उर्फ अरफात को आईपीसी की धारा 302 में मृत्यु की सजा दी है व 20 हजार के जुर्माने से भी दंडित किया है. वहीं आईपीसी की धारा 376 क ख व पॉक्सो एक्ट की धारा 42 में भी मृत्यु की सजा सुनाई है. साथ ही आईपीसी की धारा 364 में उम्रकैद व 20 हजार के जुर्माने से दंडित किया है. कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जुर्माने की समस्त धनराशि बच्ची की मां को दिया जाए.

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