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आम्रपाली के सीएफओ को ईडी की कस्टडी में भेजने का आदेश

मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में कोर्ट ने आम्रपाली के सीएफओ को ईडी की कस्टडी में सौंपने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने यह आदेश ईडी की अर्जी को मंजूर करते हुए दिया है.

लखनऊ कोर्ट.
लखनऊ कोर्ट.

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Published : Dec 19, 2020, 10:52 PM IST

लखनऊ: ईडी के विशेष जज व जिला जज दिनेश कुमार शर्मा तृतीय ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में आम्रपाली ग्रुप ऑफ कम्पनीज के चीफ फाइनेंस ऑफिसर चंद्र प्रकाश वाधवा को चार दिन के लिए ईडी की कस्टडी में सौंपने के आदेश दिए हैं. अभियुक्त की कस्टडी रिमांड की यह अवधि शनिवार की शाम से शुरू होगी. कोर्ट ने यह आदेश ईडी की अर्जी को मंजूर करते हुए दिया है. विगत शुक्रवार को ईडी ने अभियुक्त को इसे दिल्ली से गिरफ्तार किया था.

ईडी के विशेष वकील कुलदीप श्रीवास्तव ने एक अर्जी पेश कर अभियुक्त की सात दिन के लिए कस्टडी रिमांड की मांग की थी. उनका कहना था कि अभियुक्त ने चार फर्जी कंपनी नीलकंठ बिल्ड क्राफ्ट प्राइवेट लिमिटेड, रुद्राक्ष इन्फ्रा सिटी प्राइवेट लिमिटेड व मन्नत बिल्ड क्राफ्ट प्राइवेट लिमिटेड के जरिए फ्लैट खरीदारों का पैसा विदेशों में जेपी मार्गन कंपनी के खाते में भेजा था. ईडी ने इस कंपनी की 140 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है. वकील का कहना था कि अभियुक्त ने फ्लैट खरीदारों की बाकी रकम और किन कंपनियों में लगाया. इस संबंध में पूछताछ करनी है.

उल्लेखनीय है कि ईडी इस मामले में आम्रपाली ग्रुप ऑफ कम्पनीज के निदेशक अनिल कुमार शर्मा, शिव प्रिया व अजय कुमार के साथ ही ऑडीटर अनिल मित्तल को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है. कंपनी के इन अफसरों पर नोएडा व ग्रेटर नोएडा अथाॅरिटी के अधिकारियों से सांठगांठ कर फ्लैट खरीदारों का करीब 6 हजार करोड़ रुपये हड़पने व उससे अपनी सम्पति बनाने का आरोप है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश से ईडी इस मामले की जांच कर रही है.


23 जुलाई 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को इस मामले को दर्ज कर जांच करने का आदेश दिया था. साथ ही ईडी को हर तीन माह पर जांच रिपोर्ट भी दाखिल करने का निर्देश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले फ्लैट खरीदारों की याचिका पर इस मामले की फॉरेंसिक आडिट कराई थी. जिसमें आम्रपाली ग्रुप ऑफ कम्पनीज के निदेशकों को फ्लैट खरीदारों की रकम में हेरफेर का दोषी पाया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पाया कि कंपनी ने प्रथम दृष्टया फेमा व मनी लॉन्ड्रिंग के तहत अपराध किया है. सुप्रीम कोर्ट ने ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर कंपनी का रेरा में रजिस्ट्रशन भी रद्द कर दिया था.

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