उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

लखनऊ केमिस्ट एसोसिएशन ने केंद्र सरकार का जताया आभार, जानिए क्या थीं मांगें

भारत सरकार ने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट (drugs and cosmetic act) में बदलाव करते हुए दवाओं की पहचान के लिए बार कोड (QR code) के लिए नियम लागू कर दिए हैं. इस बारे में भारत सरकार (Government of India) ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. इस मामले में लखनऊ केमिस्ट एसोसिएशन ने भारत सरकार को पत्र लिखकर इस एक्ट मे बदलाव की मांग भी की थी.

Etv Bharat
Etv Bharat

By

Published : Nov 22, 2022, 6:52 AM IST

लखनऊ :भारत सरकार ने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट (drugs and cosmetic act) में बदलाव करते हुए दवाओं की पहचान के लिए बार कोड (QR code) के लिए नियम लागू कर दिए हैं. इस बारे में भारत सरकार (Government of India) ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. इस मामले में लखनऊ केमिस्ट एसोसिएशन ने भारत सरकार को पत्र लिखकर इस एक्ट मे बदलाव की मांग भी की थी. जिस पर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश कुमार, महामंत्री हरीश साह ने आभार व्यक्त किया‌ है.

यह थीं प्रमुख मांगें

- खुदरा फार्मेसी के लिए लाइसेंसधारी को जारी लाइसेंस में यह प्रावधान है कि पंजीकृत फार्मासिस्ट की देखरेख में ही दवाएं बेची जा सकती हैं. एसोसिएशन का सुझाव है कि खुदरा फार्मेसी फर्मों के प्रोपराइटर, पार्टनर जो पांच साल से अपनी दुकान चला रहे हैं, उन्हें अनुभव के आधार पर दवा बेचने की अनुमति दी जानी चाहिए. अगर किसी तरह के सर्टिफिकेशन की जरूरत है तो एफएसडीए विभाग की ओर से दवाई बेचने के लिए फार्मेसी मालिकों की पात्रता के लिए शॉर्ट टर्म ऑनलाइन कोर्स जरूर चलाया जाए.

- फार्मास्यूटिकल व्यापार से संबंधित सभी कानूनों को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत कवर किया जाना चाहिए. एनडीपीएस अधिनियम की तरह और दवा व्यापार से संबंधित अन्य संबद्ध अधिनियमों को समाप्त किया जाना चाहिए.

- अधिकांश फार्मास्यूटिकल निर्माता सीधे डॉक्टरों, संस्थाओं, उपभोक्ताओं को सामान (दवाओं) की आपूर्ति कर रहे हैं और इसका सीधा असर दवा व्यापारियों की आजीविका पर पड़ता है. हम अपने ग्राहकों को भी खो रहे हैं, यह हमारे अस्तित्व के लिए और वर्तमान कानून के खिलाफ एक बड़ा खतरा है. ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि डॉक्टरों, संस्थानों, अस्पतालों व उपभोक्ताओं को सभी आपूर्ति केवल दवा व्यापारियों द्वारा ही की जाए.

- खुदरा फार्मेसियों के लिए, डॉक्टर के नुस्खे पर निर्धारित ब्रांडों के लिए प्रतिस्थापन की अनुमति दी जानी चाहिए. जिसके लिए रोगियों को सस्ती और अच्छी गुणवत्ता वाली दवाएं मिल सकें.

- अधिनियम के तहत एकल अणु, संयोजन के लिए अधिकतम खुदरा मूल्य एक ही स्लैब में निर्धारित किया जाना चाहिए, ताकि एमआरपी में परिवर्तनशीलता उत्पन्न न हो और रोगी वास्तविक मूल्य पर दवाएं प्राप्त कर सके.

- जेनेरिक दवाओं का मार्जिन अधिनियम के तहत तय किया जाना चाहिए और यह 50% (थोक विक्रेताओं के लिए 15% और खुदरा विक्रेताओं के लिए 35%) से अधिक नहीं हो सकता है. शब्दों में जेनेरिक व नैतिक, सामान्य चिकित्सा के लिए अधिनियम में नामकरण की स्पष्टता भी. ब्रांडेड जेनरिक दवाओं की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.

- अधिनियम में खुदरा विक्रेताओं व थोक विक्रेताओं के लिए मार्जिन को संशोधित किया जाना चाहिए और यह खुदरा विक्रेताओं के लिए 20% और थोक विक्रेताओं के लिए 10% होना चाहिए. क्योंकि थोक विक्रेताओं के मार्जिन को अभी भी अधिनियम में परिभाषित नहीं किया गया है, इसलिए इसे अब अधिनियम में परिभाषित किया जाना चाहिए.

- नए ड्रग लाइसेंस (थोक व खुदरा) के लिए लाइसेंस शुल्क और प्रतिधारण शुल्क में वृद्धि नहीं की जा सकती है.

- दवाओं की ऑनलाइन बिक्री बंद होनी चाहिए. अगर सरकार दवाओं की ऑनलाइन बिक्री की अनुमति देना चाहती है, तो इसे कानून द्वारा सख्त प्रावधानों के साथ कवर किया जाना चाहिए.

ABOUT THE AUTHOR

...view details