लखनऊ:हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सोमवार को केरल निवासी व अबू धाबी में व्यवसाय करने वाले पीएफआई सदस्य अब्दुल रज्जाक पीडियक्कल की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायालय ने ईडी द्वारा दर्ज मनी लॉन्ड्रिन्ग के मामले में पीडियक्कल को जमानत देने से इंकार करते हुए कहा कि अभियुक्त की भूमिका मामले के दूसरे अभियुक्त सिद्दीक कप्पन से भिन्न है. जहां सिद्दीक कप्पन पर 5 हजार रुपये ट्रांसफर करने का आरोप था. वहीं, अभियुक्त पर करोड़ों रुपयों के मनी लॉन्ड्रिन्ग का आरोप है. हालांकि न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट को भी मामले का परीक्षण 6 माह में करने का आदेश दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल पीठ ने पीडियक्कल की जमानत याचिका पर पारित किया. अभियुक्त की ओर से दलील दी गई थी कि उसे मामले में झूठा फंसाया गया है. वह पीएफआई का सदस्य जरूर रहा है, लेकिन उसके खिलाफ एक भी एफआईआर दर्ज नहीं है. यह भी दलील दी गई कि उसका अबू धाबी में व्यावसायिक हिट जरूर है. लेकिन कतर, मलेशिया और स्विट्जरलैण्ड से पैसा भेजवाने का उस पर आरोप गलत है.
अब्दुल रज्जाक पीडियक्कल की जमानत याचिका खारिज, पीएफआई को पैसे पहुंचाने का है आरोप - न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ( Lucknow Bench of High Court) ने पीएफआई सदस्य अब्दुल रज्जाक पीडियक्कल की जमानत याचिका खारिज कर दी है. न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट को भी मामले का परीक्षण 6 माह में करने का आदेश दिया है.
वहींं, ईडी के अधिवक्ता कुलदीप श्रीवास्तव ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए दलील दी कि पीएफआई को हवाला व दूसरे अंडरग्राउंड चैनल्स से 100 करोड़ से अधिक की रकम प्राप्त हुई है. जिसमें कहा गया कि शुरुआत में उक्त संस्था के 5 सदस्यों के खिलाफ जांच शुरू हुई लेकिन आगे की विवेचना में अभियुक्त की भी सक्रिय संलिप्तता पाई गई. दलील दी गई कि मनी लांड्रिग का यह मामला हाथरस कांड के जरिए सामाजिक ताना-बाना बिगाड़ने के लिए विदेशों से फंडिग से जुड़ा है. पीएफआई ने केरल में मुन्नार विला प्रोजेक्ट खड़ा किया था. इस प्रोजेक्ट में खाड़ी के देशों से रकम आता था. इस रकम का इस्तेमाल हिंसा फैलाने में किया गया. उस दौरान यह पीएफआई का डिवीजनल प्रेसीडेंट था. वर्ष 2021 में ईडी ने सर्च किया, तो इसने खुद को बचाने की मंशा से पीएफआई छोड़ दिया.